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विश्व आदिवासी दिवस : प्रकृति पूजक आदिवासियों से जुड़ी कुछ रोचक बातें…

चैतन्य भारत न्यूज  

9 अगस्त यानी आज ‘विश्व आदिवासी दिवस’ है। बता दें आज के ही दिन साल 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने आदिवासियों के भले के लिए एक कार्यदल गठित किया था। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने सदस्य देशों को प्रतिवर्ष 9 अगस्त को ‘विश्व आदिवासी दिवस’ मनाने की घोषणा की। इस खास मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं आदिवासियों से जुड़ी कुछ खास बातें जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे।

आदिवासियों से जुड़ी मुख्य बातें-

  • आदिवासी शब्द दो शब्दों ‘आदि’ और ‘वासी’ से मिलकर बना है जिसका अर्थ मूल निवासी होता है।
  • भारतीय सविंधान में आदिवासियों के लिए ‘अनुसूचित जनजाति’ पद का प्रयोग किया गया है।
  • खास बात यह है कि भारत की जनसंख्या का 8.6% यानी कि लगभग (10 करोड़) जितना बड़ा एक हिस्सा आदिवासियों का है।
  • भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में जाट, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, भील, खासी, सहरिया, संथाल, मीणा, उरांव, परधान, बिरहोर, पारधी, आंध, टोकरे कोली, महादेव कोली, मल्हार कोली, टाकणकार आदि शामिल हैं।
  • आदिवासी प्रकृति पूजक होते हैं। वे प्रकृति में पाए जाने वाले सभी जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, नाले, खेत इन सभी की पूजा करते हैं। आदिवासियों का मानना होता है कि प्रकृति की हर एक वस्‍तु में जीवन होता है।

  • आदिवासी समाज के लोग अपने धार्मिक स्‍थलों, खेतों, घरों आदि जगहों पर एक विशिष्‍ट प्रकार का झंडा लगाते हैं, जो अन्‍य धर्मों के झंडों से अलग होता है। इतना ही नहीं बल्कि इनके झंडे में सूरज, चांद, तारे इत्‍यादी सभी प्रतीक विद्यमान होते हैं। खास बात यह है कि, ये झंडे सभी रंग के हो सकते हैं। उनके लिए सारे रंग एक समान है। वे किसी विशेष रंग से बंधे हुए नहीं हैं।
  • कहा जाता है कि जब 21वीं सदी में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने महसूस किया कि आदिवासी समाज उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से घिरा हुआ है तो उनके मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए इस कार्यदल का गठन किया गया था।


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