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रेफरियों के फैसले से खफा मेरीकॉम, कहा- रिंग से निकलते वक्त पता था जीतूंगी, भरोसा नहीं होता रेफरी ने वेलेंसिया का हाथ उठाया

चैतन्य भारत न्यूज

ओलिंपिक पदक हासिल करने का सपना टूटने के बाद भारतीय बॉक्सर एमसी मैरिकॉम ने अपने मुकाबले के फैसले पर सवाल उठाए हैं। मेरीकॉम ने हार के लिए अंपायर्स, इंटरनेशनल बॉक्सिंग फेडरेशन और इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि बॉक्सिंग टास्क फोर्स का फैसला बहुत खराब है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में मेरिकॉम ने ये साफ कर दिया है कि वो खेल को अलविदा कहने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं ब्रेक लूंगी, परिवार के साथ समय बिताऊंगी। लेकिन मैं खेल नहीं छोड़ रही हूं। अगर कोई टूर्नामेंट होता है तो मैं जारी रखूंगी और अपना भाग्य आजमाऊंगी।

सोशल मीडिया से पता चला कि हार गई हूं

प्री-क्वार्टर फाइनल में कोलंबियाई बॉक्सर इन्ग्रिट वेलेंसिया से हार के बाद मेरीकॉम ने कहा कि मैच के बाद मैं रिंग के अंदर खुश थी। जब मैं बाहर आई, तब भी मैं खुश थी। मुझे पता था कि मैं जीत गई थी। जब वे मुझे डोपिंग के लिये ले जा रहे थे, तब मैं ये बात जानती थी। मुझे मेरे कोच छोटे लाल यादव ने बताया कि मैं हार गई। मैंने किरण रिजिजू का ट्वीट देखा। उस ट्वीट से मुझे यकीन हुआ कि मैं हार चुकी हूं। मैंने 3 में से 2 राउंड जीते। फिर मैं हार कैसे गई।

फैसले को बिल्कुल समझ नहीं पा रही हूं

उन्होंने कहा है कि मैं इस फैसले को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही हूं। पता नहीं क्या गड़बड़ है, IOC और टास्क फोर्स को क्या समस्या है। मैं भी टास्क फोर्स की मेंबर थी। मैं साफ सुथरे मैच के लिए उन्हें सुझाव भी देती थी और उनका सहयोग भी करती थी। लेकिन, उन्होंने मेरे साथ क्या किया?

सबसे खराब बात ये कि प्रोटेस्ट नहीं किया जा सकता

मैरीकॉम ने कहा, ‘मैंने इस मुक्केबाज को दो बार हराया है। मैं विश्वास ही नहीं कर सकी कि रेफरी ने उसका हाथ उठाया था। कसम खाती हूं कि मुझे अहसास ही नहीं हुआ कि मैं हार गई थी, मुझे इतना भरोसा था। सबसे खराब बात है कि फैसले का रिव्यू और प्रोटेस्ट नहीं किया जा सकता है, वरना मैं ऐसा जरूर करती।

मेरीकॉम बोलीं, “ईमानदारी से कहूं तो मुझे भरोसा है कि दुनिया ने देखा होगा। रेफरियों जो कुछ किया, यह कुछ ज्यादा ही हो गया है। मुझे दूसरे राउंड में सर्वसम्मति से जीतना चाहिए था, तो यह 3-2 कैसे था? एक मिनट या एक सेकेंड के अंदर एक एथलीट का सब कुछ चला जाता है। जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं जजों के फैसले से निराश हूं।’



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