चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में पापमोचनी एकादशी का काफी महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। इस बार पापमोचनी एकादशी 19 मार्च को पड़ रही है। आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी का महत्व और पूजा-विधि।
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पापमोचनी एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली पापमोचनी एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसका व्रत करने से मनुष्य पापों से छूट कर मोक्ष को प्राप्त होता है। यही नहीं इसके प्रभाव से भूत, पिशाच आदि योनियों से भी मुक्त हो जाता है। इस दिन श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। कहते हैं कि जिस मनुष्य ने इस एकादशी का व्रत किया है उसने मानो सब यज्ञ, जप, दान आदि कर लिए।
पापमोचनी एकादशी पर विशेष संयोग
इस वर्ष पापमोचनी एकादशी गुरुवार के दिन पड़ रही है और गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इसलिए गुरुवार के दिन पापमोचनी एकादशी पड़ने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
पापमोचनी एकादशी पूजा-विधि
- एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
- अब घर के मंदिर में एक चौकी में लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- अब एक लोटे में गंगाजल लें और उसमें तिल, रोली और अक्षत मिलाएं।
- इसके बाद भगवान विष्णु को धूप-दीप दिखाकर उन्हें पुष्प अर्पित करें।
- अब घी के दीपक से विष्णु की आरती उतारें और विष्णु सहस्नाम का पाठ करें।
- एकादशी के दिन तिल का दान करना अच्छा माना जाता है।
- शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा कर फलाहार ग्रहण करें।