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मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के दौरान इन नियमों का करें पालन, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

चैतन्य भारत न्यूज

इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। मान्‍यता है कि इस दौरान पितर स्‍वर्ग लोग से उतरकर धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्‍यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान आने वाले दिनों में मातृ नवमी के दिन श्राद्ध का काफी महत्व है। इस वर्ष नवमी का श्राद्ध 22 सितंबर को किया जाएगा। आइए जानते हैं मातृ नवमी के दिन श्राद्ध के नियम और शुभ मुहूर्त।



ये हैं मातृ नवमी के दिन श्राद्ध के नियम 

  • श्राद्ध करने में दूध, गंगाजल, मधु, वस्त्र, कुश, अभिजित मुहूर्त और तिल मुख्य रूप से अनिवार्य है।
  • तुलसीदल से पिंडदान करने से पितर पूर्ण तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
  • गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक इन्हें महादान कहा गया है।
  • खासतौर से आप जिस व्‍यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसकी पसंद के मुताबिक खाना बनाएं।
  • तर्पण और पिंड दान करने के बाद पुरोहित या ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

नवमी श्राद्ध की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • नवमी तिथि प्रारंभ: 22 सितंबर  2019 को रात 07 बजकर 50 मिनट से
  • नवमी तिथि समाप्त: 23 सितंबर 2019 को  रात 06 बजकर 37 मिनट तक

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