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सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग का उद्घाटन आज, बनी दिल्ली एनसीआर में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा पैदा करने वाली पहली सरकारी ईमारत

चैतन्य भारत न्यूज

करीब सात साल में बनकर तैयार हुई सुप्रीम कोर्ट की नई ईमारत का उद्धघाटन बुधवार यानी आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन शाम 4:30 बजे होगा, जिसमें सीजेआई रंजन गोगोई, सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी शिरकत करेंगे।

12.19 एकड़ में फैली ये ईमारत सीपीडब्लूडी की ओर से बनाई गई अब तक सबसे बड़ी इमारत है। करीब 885 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस ईमारत में पांच ब्लॉक हैं जिसमें 15 लाख 40 हजार वर्ग फीट जगह उपलब्ध होगी। जजों और वकीलों के लिए देश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी बनाई गई है। यह तीन फ्लोर तक फैली हुई है। इस नई ईमारत को भूमिगत रास्ते के जरिए पुरानी ईमारत से जोड़ा गया है।

नई ईमारत में सुप्रीम कोर्ट का प्रशासनिक काम, मुकदमें की फाइलिंग, कोर्ट के आदेशों की कॉपियां लेने आदि के सभी काम होंगे। इस नई ईमारत में 2000 कारों के लिए तीन मंजिला पार्किंग होगी और वकीलों को अपने लिए 500 नए चैंबर मिलेंगे। इसके अलावा 650 और 250 लोगों की क्षमता वाले दो आडिटोरियम और एक बड़ा राउंड टेबल कॉन्‍फ्रेंस रूम बनाया गया है।

14 सौ किलोवॉट सोलर ऊर्जा पैदा की जाएगी

ईमारत की संरचना को पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर खास ध्यान दिया गया है। इस ईमारत में बड़े सोलर पैनल लगे हैं जिससे 1400 किलोवॉट सौर ऊर्जा पैदा की जाएगी। इसमें से 40% खुद के इस्तेमाल में खर्च की जाएगी। खास बात यह है कि, दिल्ली-एनसीआर में इतनी ज्यादा मात्रा में सोलर पावर पैदा करने वाली यह पहली सरकारी ईमारत होगी। इसमें 825 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

लोगों के न रहने पर अपने आप बंद हो जाएगी लाइटें

इस ईमारत में अत्याधुनिक एलईडी लाइटों को इस्तेमाल किया गया है। दरअसल ये लाइटें सेंसर प्रणाली पर काम करती हैं जो अंधेरा होने पर चालू हो जाएंगी और किसी के न रहने पर अपने आप ही बंद हो जाएंगी। इस तकनीक से बिजली की बचत होगी। जानकारी के मुताबिक, नई ईमारत में सुप्रीम कोर्ट की सभी फाइलों का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाएगा।

गौरतलब है कि, ईमारत का काम 27 सितंबर 2012 में शुरू हुआ जो कि सात साल बाद अब 2019 में पूरा हुआ है। खबरों के मुताबिक, शुरूआत में ईमारत का कामकाज निजी कंपनी को सौंपा गया था, लेकिन वह काम नहीं कर पाई और तीन साल बाद काम सीपीडब्लूडी को दिया गया। उस समय यह तय किया गया था कि, इमारत के निर्माण में ईंटों का इस्तेमाल नहीं होगा। इस ईमारत को बनाने में करीब 20 लाख ब्लॉक्स का इस्तेमाल किए गए हैं, जिससे 35 हजार मीट्रिक टन मिट्टी की बचत हुई है।



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