भक्तों आज का विषय है कि हनुमान जी को चोला (Hanuman Ji Ka Chola) कैसे चढ़ाना चाहिए इसकी हम आपको सही विधि बताएंगे। विधि के साथ साथ हम आपको बताएंगे कि किन दो तरीकों सौम्य और उग्र से चोला हनुमान जी को चढ़ाया जाता है।
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हनुमान जी का चोला क्या है? (Hanuman Ji Ka Chola Kya Hai?)
बालाजी महाराज को चोला मंगलवार या शनिवार के शुभ दिन को चढ़ाना चाहिए। बालाजी महाराज हनुमान जी को चमेली के तेल और सिंदूर से चोला चढ़ाया जाता है।
हनुमान जी को चोला कैसे चढ़ाए?
हनुमान जी का चोला का सामान (Hanuman Ji Ka Chola Ka Saman List)
- चमेली का तेल
- लाल सिंदूर
- चांदी या सोने का वर्क
- जनेऊ
- अंगोछा
- वस्त्र
ये सब चोले का सामान लेने के बाद चोला चढ़ाने की तैयारी कर लें।
हनुमान जी को चोला चढ़ाने की विधि (Hanuman Ji Ko Sindoor Lagane Ki Vidhi)
- सबसे पहले प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करें और वेशभूषा में स्वच्छ धोती कुर्ता पहने।
- बालाजी महाराज का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रार्थना करें कि बाबा हम आपको चोला चढ़ा रहे हैं। आप हमारा कल्याण करें और अपना आशीर्वाद हम पर बनाए रखें।
- बालाजी हनुमान जी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
Hanuman Ji Ka Chola Kaise Banaye?
- स्नान कराने के बाद एक शुद्ध स्वच्छ बर्तन में सिंदूर डालें।
- सिंदूर में थोड़ा सा चमेली का तेल अच्छे से मिला लें।
आगे की विधि :-
- श्री राम जी का जाप करते हुए हनुमान जी को पैरों से सिर की ओर यह चोला चढ़ाएं।
- सबसे पहले दाहिने पैर पर नीचे से ऊपर की ओर चोला चढ़ाए।
- फिर बायें पैर पर नीचे से ऊपर की ओर चोला चढ़ाना चाहिए।
- पैरों के बाद बालाजी हनुमान जी के दाहिने हाथ पर नीचे से ऊपर की ओर चोला चढ़ाना है।
- दाहिने हाथ की विधि की तरह ही बायें हाथ पर चोला चढ़ाए।
- फिर बाकी अंगों पर भी नीचे से ऊपर की तरफ चोला चढ़ाए।
- सोने या चांदी के वर्क लेकर सिंदूर का चोला जो आपने चढ़ाया है उसपर वर्क के टुकड़े लगा दीजिए।
- वर्क लगाने के बाद सामग्री में से हनुमान जी का जनेऊ (Hanuman Ji Ka Janeu) धारण कराए।
- जनेऊ पहनाने के बाद वस्त्र आदि पहनाएं।
- वस्त्र धारण कराने के पश्चात हनुमानजी को भोग लगाएं। धूप दीप पुष्प आदि से पूजन करें।
- हनुमान जी का चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करें और बालाजी महाराज की आरती गाएं।
- बालाजी महाराज के आगे माथा टेके।
चोला चढ़ाने का तरीका
हनुमान जी को चोला दो तरीके से चढ़ाया जाता है।
- चरणों से सिर की ओर
- सिर से चरणों की ओर
जब आप हनुमान जी का चोला इन्हें चरणों से सिर की ओर ले जाते हुए चढ़ाते हैं तो इस तरीके को चोला चढ़ाने की सौम्य विधि कहते हैं।
जबकि दूसरी ओर अगर आप चोला सिर से हनुमानजी के चरणों की ओर चोला चढ़ाते हैं तो यह विधि उग्र विधि कहलाती है।
कब किस विधि से चोला चढ़ाए? (Hanuman Ji Ka Chola Vidhi)
जब आपको या आपके परिवार में कोई संकट या परेशानी हो या आपकी कोई मनोकामना आदि हो तो उग्र विधि से हनुमान जी को चोला चढ़ाना चाहिए ।
जब आपकी समस्या का समाधान हो जाए या मनोकामना पूरी हो जाए तो सौम्य विधि का पालन करते हुए चोला चढ़ाना उचित रहता है।
अगर आप निःस्वार्थ चोला चढ़ा रहे हैं या किसी का दिया हुआ चोला आप चढ़ा रहे हैं तो सौम्य विधि का पालन करते हुए चोला चढ़ाएं।
उग्र विधि से हनुमानजी को चोला चढ़ाने की विधि
ऊपर बतायी गयी विधि की तरह ही आपको वही सामान लेकर तैयारी करनी है और चोला कैसे चढ़ाना है यह जान लीजिए।
- सबसे पहले हनुमानजी के दायें पैर पर उनकी जांघ से नीचे की ओर चोला चढ़ाए।
- फिर बायें पैर पर उनकी जांघ से नीचे की ओर चोला चढ़ाए।
- सीधे हाथ के कंधे से हाथ की उंगलियों की ओर ले जाते हुए सिन्दूर का चोला चढ़ाए।
- इसी तरह बायें हाथ के कंधे से हाथ की उँगलियों की तरफ सिंदूर लगाएं।
- अंत में सिर से नीचे की ओर सिन्दूर का लेप लगाएं।
- वर्क लगाए।
- जनेऊ धारण करायें।
- धूप, दीप, भोग लगाए।
- हनुमान चालीसा और हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji ki Aarti) करें।
हनुमान जी को सिंदूर का चोला क्यों चढ़ाया जाता है?
श्री राम जी का राज्य अभिषेक होने के बाद एक मंगलवार की सुबह जब हनुमानजी को भूख लगी तो वो माता सीता के पास कुछ खाने के लिए लेने पहुंचे।
सीता माता जी उस समय अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी।
यह देखकर हनुमानजी ने उनसे आश्चर्य पूर्वक प्रश्न किया – माता! आपने अपनी मांग में यह कौन सी लाल रंग की चीज़ लगा रखी है?
यह सुनकर सीता माता ने प्रसन्नता पूर्वक कहा कि हनुमान! यह सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक, मंगल सूचक सौभाग्य वर्धक सिंदूर है।
जिसे अपने स्वामी की लंबी आयु के लिए जीवन पर्यन्त लगाया जाता है और इससे वे मुझसे प्रसन्न रहते हैं।
हनुमान जी महाराज ने यह बात सुनकर सोचा कि जब उंगली भर सिंदूर लगाने से स्वामी की आयु में वृद्धि होती है तो क्यों न मैं सारे बदन पर इसे लगाकर अपने स्वामी श्री राम जी को अजर अमर कर दूं।
उन्होंने जैसा सोचा वैसा ही कर भी दिखाया। वह अपने बदन पर सिंदूर लगाकर श्री राम जी के दरबार में पहुंच गए।
उन्हें इस प्रकार सिंदूर मे देखकर दरबार में उपस्थित सभी लोग हंसे और श्री राम भी उन्हें देखकर मुस्कराने लगे और बहुत प्रसन्न हुए।
उनके सरल भाव पर मुग्ध होकर उन्होंने यह घोषणा की कि जो मंगलवार के दिन मेरे अनन्य प्रिय भक्त श्री हनुमान जी को तेल और सिंदूर चढ़ाएंगे, उन्हें मेरी प्रसन्नता प्राप्त होगी।
सिंदूर चढ़ाने वाले को उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस पर माता सीता के वचनों में हनुमानजी को और भी अधिक दृढ़ विश्वास हो गया।
कहा जाता है कि उसी समय से भगवान् श्री राम के प्रति हनुमान जी की अनुपम स्वामिभक्ति को याद करने के लिए उनके सारे शरीर पर चमेली के तेल में घोलकर सिन्दूर लगाया जाता है।
Hanuman Ji Ka Chola
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