उमा महेश्वर व्रत की कथा (Uma Maheshwar Vrat Katha) – यह व्रत भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। स्नान आदि करने के बाद शिव जी की प्रतिमा को स्नान कराकर पुष्प, अक्षत, रोली, धूप, दीप, विप्लवपत्र, नैवेद्य आदि से पूजा अर्चना करनी चाहिए।
रात्रि के समय किसी भी शिव मंदिर में जागरण जगराता करना चाहिए। उमा महेश्वर की पूजा अर्चना आदि से निवृत्त होकर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। तत्पश्चात उन्हें यथासम्भव दान दक्षिणा देकर उमा महेश्वर व्रत का समापन करना चाहिए।
उमा महेश्वर व्रत कथा (Uma Maheshwar Vrat Katha) से जुड़ी कुछ खास बातें
01 | उमा महेश्वर व्रत 2019 कब है ? | 13 सितंबर 2019 को। |
02 | उमा महेश्वर व्रत कब किया जाता है ? | यह व्रत भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। |
03 | उमा महेश्वर व्रत की पूजन सामग्री कौन सी हैं ? | पुष्प, अक्षत, रोली, धूप, दीप, विप्लवपत्र, नैवेद्य आदि |
04 | क्या उमा महेश्वर व्रत के दिन इसकी कथा सुननी चाहिये ? | जी हां उमा महेश्वर व्रत कथा का वाचन, श्रवण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। |
05 | उमा महेश्वर व्रत कथा के मुख्य पात्र कौन कौन हैं ? | ऋषि दुर्वासा, विष्णुजी, शिवजी, लक्ष्मी, गरुड़। |
उमा महेश्वर व्रत कथा (Uma Maheshwar Vrat Katha)
मत्स्य पुराण में उमा महेश्वर व्रत का विधान व इसका विधान दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार ऋषि दुर्वासा भगवान् शिव शंकर जी के दर्शन करने के पश्चात् लौट रहे थे।
लौटते समय मार्ग मे ही ऋषि दुर्वासा जी की भेंट विष्णु भगवान् जी से हो गयी। ऋषि दुर्वासा जी ने शिव जी द्वारा उन्हें दी गयी विप्लवपत्र की माला भगवान् विष्णु जी को दे दी।
भगवान् विष्णु जी ने यह माला खुद के गले में धारण न करके अपने वाहन गरुड़ के गले में डाल दी। यह सब देखकर ऋषि दुर्वासा जी ने इसे अपना अपमान समझा और बहुत क्रोधित हो गए।
ऋषि दुर्वासा क्रोधित स्वर में विष्णु जी से बोले, तुमने महादेव शिव शंकर जी का अपमान किया है। इससे तुम्हें लक्ष्मी जी छोड़कर चली जायेंगी और तुम्हें बैकुण्ठ लोक के साथ-साथ क्षीरसागर से भी हाथ धोना पड़ेगा। शेषनाग जी भी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकेंगे।
यह सुनकर विष्णु जी ने ऋषि दुर्वासा जी के समक्ष हाथ जोड़कर इस श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा। क्रोध शांत होने पर ऋषि दुर्वासा जी ने विष्णु जी को बताया कि उन्हें उमा महेश्वर व्रत करना चाहिए। तभी तुम्हें खोयी हुई वस्तुएं वापिस प्राप्त होंगी।
तब विष्णु जी ने इस व्रत को किया। उमा महेश्वर व्रत के प्रभाव से लक्ष्मी जी समेत सभी शापित वस्तुएं भगवान् विष्णु जी को पुनः प्राप्त हो गयी।
यह भी पढ़ें :-
सोमवार व्रत कथा, सौम्य प्रदोष, सोलह सोमवार और सोमवती अमावस्या की व्रत कथा।
The post उमा महेश्वर व्रत कथा (Uma Maheshwar Vrat Katha) appeared first on Mehandipur Balaji Blog Website.