~ लबों पर तिरे…
करीबी बढ़ा तो सराने लगा दूँ
गयी बात उसको ठकाने लगा दूँ…
मिले जो नज़र तो नज़र को चुराना,
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हुनर ये अगर है, चलो आज़मा दूँ…
तराने मिरे लोग गाने लगे हैं,
मिलो जो कभी आपको मैं सुना दूँ…
अदाकार तो मैं नहीं मगर, हाँ,
ज़रा सा चले, तो तमाशा दिखा दूँ…
फसाने बनाना मुझे खूब आता,
यहाँ बैठ ताज़ा कहानी बना दूँ…
लगा ले अगर लब गज़ल को मिरी तू,
लबों से तिरे ये ग़ज़ल गुनगुना दूँ…