~ चल तू-तू मैं-मैं करते हैं…
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं
फिर धर्म के नाम पर मरते हैं
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चल बहस करें बे सिर-पैर की
लाशों के ढेर लगाते हैं
इज़्ज़त की उड़ा धज्जियाँ
कारों और बसो को जलाते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं…
क्या खाया क्या पहना जाए
इसकी एक लिस्ट बनाते हैं
शहरों के नाम बदलते है
कुछ दंगे नए भड़काते है
पड़ोसी को देख जले पड़ोसी
भाई को भाई से लड़ाते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं…
चल देश विदेश की सैर करें
देखें सब आपस में बैर करें
कुछ पुतले नए बनाते है
कुछ बच्चों को भड़काते हैं
चल हरे को भगवा चढ़ाते है
दिलों में आग लगाते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं…
आया है मौसम चुनाव का
अब मुद्दे नए बनाते हैं
ये जनता तो बेचारी है
चल चुना इसे लगाते हैं
बातों में इसे फँसाते है
कुछ सपने नए दिखाते है
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं…
आपस में बिन बात के लड़ते है
छल–कपट, दांव–पेच लगाते है
माँगें जो पुराना हिसाब कोई
इतिहास में उसे फ़साते हैं
ऐशो–आराम से हमको काम,
पहले वोट, फिर जेबों को भरते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं
चल तू-तू मैं-मैं करते हैं…