~ काना-फुसियाँ…
चल चलें कहीं, फिर करें वही,
काना-फूसियाँ…
मैं दूँ उधेड़ कुछ, देना उसे तू बुन,
Related Articles
हाँ वही, काना-फूसियाँ…
बंद किताब में, सूखे गुलाब सी,
काना-फूसियाँ…
मैं आऊँ देर से, तू लेना मेरा बहाना सुन,
फिर करें काना-फूसियाँ…
हाँ रूठ जाने की, फिर मनाने की,
काना-फूसियाँ…
घड़ी की सुई जैसे, बारह पे जाए अटक,
और करें वही, काना-फूसियाँ…
मौसमी बुखार सी, यूँ ही बेकार सी,
तेरी मेरी काना-फूसियाँ…
यादों को बनाए कड़ी, बातों की पकोड़ियां भरी,
हाँ वही, चटपटी, काना-फुसियाँ…
चल चलें वहीँ, और करें वही,
काना-फूसियाँ…