~ ख़त…
हवाओं में आज इक मीठी सी महक है,
देखुँ ख़त आया होगा…
वो दूर कुछ नज़र आ भी रहा है,
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धूल भी उड़ रही है,
धड़कने अब मेरी बड़ने लगी,
मैं भागी भागी इस सोच में थी,
बताया नहीं इस बार की आने को हैं,
फिर सोचा ये तो ऐसे ही हैं, पगले कहीं के…
बता देते….
तो कुछ अच्छा सा बना लेती,
और ख़ुद को थोड़ा सज़ा लेती,
बता देते….
तो रात भर ना सोती मैं,
और मीठे सपनो में खोती मैं,
बता देते….
तो टिका तिलक मँगा लेती,
और फूलों से सेज सज़ा लेती,
बता देते….
तो सारे ख़त में पड़ लेती,
और सपनो में तुमसे लड़ लेती,
ये सोच सोच अब धड़कने मेरी तेज़ हुई,
वो धूल उड़ाती, गाड़ी, आ रुकी…
दो जवान, गर्दन झुकी और सीना तान,
आगे बड़े, आ कर पास,
दे गए, तिरेंगे में लिपटा…एक ख़त…