केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को भ्रष्टाचार और तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने के आरोप में कैडबरी इंडिया लिमिटेड पर मामला दर्ज कर उसके 10 परिसरों में तलाशी ली. बता दें कि अब कैडबरी इंडिया लिमिटेड को मोंडेलेज फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता है.
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कैडबरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड 2010 से पूरी तरह से अमेरिकी स्नैक्स कंपनी मॉन्डलीज की है. सीबीआई के मुताबिक, कैडबरी ने करप्शन किया है. कंपनी ने क्षेत्र आधारित (Baddi, Himachal Pradesh) मिलने वाली टैक्स में छूट के नियमों का गलत तरीके से पालन किया और टैक्स में चोरी की है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, सीबीआई ने सोलन, बद्दी, पिंजोर और मुंबई के दस ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया है. कंपनी ने सेंट्रल एक्साइज के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर सरकार को टैक्स के रूप में 241 करोड़ का चूना लगाया. अनियमितता का यह मामला 2009-2011 के बीच का बताया जा रहा है. शुरुआती जांच के बाद सीबीआई ने FIR दर्ज कर लिया है. अपनी एफआईआर में सीबीआई ने कंपनी पर कई तरह के आरोप लगाए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआई ने सोलन, बद्दी, मोहाली, पिंजौर और मुंबई में 10 स्थानों पर तलाशी ली। सीबीआई की ओर से कहा गया कि एजेंसी ने प्रारंभिक जांच की थी जिसमें सामने आया कि कंपनी ने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में क्षेत्र आधारित कर लाभ लेने के लिए तथ्यों और दस्तावेजों को गलत तरीके से पेश किया तथा रिश्वत दी जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।
कंपनी के अलावा एजेंसी ने कुल 12 व्यक्तियों पर भी मामला दर्ज किया है जिनमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर विभाग के दो तत्कालीन अधिकारी, कैडबरी इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के तत्कालीन उपाध्यक्ष विक्रम अरोड़ा और निदेशक राजेश गर्ग तथा जेलबॉय फिलिप्स शामिल हैं।
सीबीआई के अनुसार, सीआईएल ने बोर्नविटा उत्पाद बनाने के लिए संधौली गांव में कारखाना लगाया था और इस इकाई ने 19 मई 2005 से उत्पादन करना शुरू किया। एजेंसी ने कहा कि दो साल बाद सीआईएल ने फाइव स्टार और जेम्स उत्पाद बनाने के वास्ते एक और कारखाना लगाने के लिए उत्पादन को विस्तार देने का प्रस्ताव दिया और बद्दी में बरमाल्ट से जमीन खरीदी तथा और 10 साल तक एक्साइज ड्यूटी और आयकर देने से छूट पाई।
और टैक्स छूट में लाभ लेने के लिए एक अलग कंपनी के रूप में दूसरी यूनिट स्थापित करने के लिए जरूरी अप्रूवल लिए, जबकि वह यह लाभ पाने के योग्य नहीं थी. एजेंसी ने यह भी कहा है कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय (डीजीसीईआई) ने भी इस मामले की जांच की है और कंपनी पर 241 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.