आपका बहुत – बहुत स्वागत है. आज की हमारी इस खबर में हम आपको महाभारत की प्रमुख जिसकी वजह से महाभारत का युद्ध था. इस खबर में हम आपको उसी के सच के बारे में बता रहे है.
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द्रौपदी ने अपने जीवन के अंत समय में कुछ ऐसे राज बताए थे जिसे सुनकर पांडवों के भी होश उड़ गए थे। जो आज हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे. आइए जान लेते हैं। द्रौपदी का सबसे बड़ा राज जो द्रौपदी ने अंत समय में बताया था, पांडव की सुनकर हो गए थे हैरान.
युधिष्ठिर के राजपाट त्यागने के बाद पांचो पांडव द्रौपदी के साथ जंगल में कुटिया बनाकर रहने लग गए. एक बार द्रौपदी को भूख लगी तो सामने एक जामुन का पेड़ था.उस पर काफी जामुन के फल लग रहे थे.जैसे ही द्रौपदी ने जामुन का एक गुच्छा तोड़ा तभी वहां श्री कृष्ण जी पहुंच गए.
कृष्ण जी ने बताया कि कुछ ही दिनों में इस जामुन के गुच्छे को एक ऋषि मुनि तोड़ कर खाने वाले थे. अब जामुन टूटने के कारण आपको ऋषि मुनि के श्राप का भागीदार बनना पड़ेगा. द्रौपदी ने श्राप से बचने के लिए जामुन के गुच्छे को पेड़ पर वापस लगाना चाहा. तभी श्री कृष्ण जी ने ऋषि के श्राप से बचने के लिए एक उपाय बताया कि इस जामुन के पेड़ के सामने पांडव और द्रौपदी को अपने जीवन के सच बताने होंगे. तब ये जामुन पेड़ पर अपने आप लग जाएंगे.
युधिष्ठिर के जीवन का सच
युधिष्ठिर के अनुसार महाभारत का युद्ध सिर्फ द्रौपदी की वजह से ही हुआ था. यदि वो द्रौपदी से शादी नहीं करते तो उनके चचेरे भाई आज भी जीवित होते हैं। इसलिए उन्हें बहुत ज्यादा दुख है.और वो द्रौपदी को कभी माफ़ भी नहीं करेंगे। जामुन का गुच्छा हवा में थोड़ा सा लटक गया.
भीम ने अपने जीवन का सच बताया कि मुझे बहुत ज्यादा खाना खाने की आदत है. और भोग करने की भी गंदी आदत है. मुझे गुस्सा भी तुरंत आता है.और इसी वजह से मैंने अपने 100 भाइयों का वध कर दिया था. जिसका आज मुझे बहुत ज्यादा दुख है. जामुन का बच्चा थोड़ा ओर ऊपर गया।
अर्जुन के जीवन का सच
अर्जुन ने अपने जीवन का सच बताया कि वह सबसे श्रेष्ठ धनुर्धर बनने की इच्छा रखते थे. लेकिन आज तक नहीं बन पाए. अर्जुन ने बताया कि मुझे दुख है कि मैंने अपने बड़े भाई कर्ण का वध अनजाने में कर दिया. वह मुझसे भी ज्यादा ताकतवर था. और आज दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर इस दुनिया में नहीं है.
द्रौपदी के जीवन का सच
द्रौपदी ने अपने जीवन का सच बताया तो सुनकर सभी के होश उड़ गए. द्रौपदी ने बताया कि महाभारत युद्ध मेरी वजह से हुआ था। इसका मुझे बहुत ज्यादा दुख है. और मैं कभी भी अपने आप को माफ नहीं कर पाऊंगी. इतना कहते ही जामुन का गुच्छा ऊपर नहीं गया. तब श्री कृष्ण जी ने कहा कि जब तक तुम अपने जीवन का सच नहीं बताओगी तब तक यह फल पेड़ पर नहीं लगेगा. तब द्रौपदी ने अपने जीवन का सच बताया कि मैं कर्ण से बेहद प्यार करती थी.और कर्ण को मैंने स्वयंवर चुना होता तो मेरा जीवन इतना कष्ट में नहीं होता. और मैं अपने जीवन को आराम से व्यतीत कर पाती. इस बात का मुझे बहुत ज्यादा दुख है. यह सच्चाई बताते ही जामुन का बच्चा पेड़ पर लग गया.
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