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तुलसीदास के दोहे हिन्दी में | Tulsidas Ke Dohe

तुलसीदास के दोहे हिन्दी में | Tulsidas Ke Dohe

तुलसीदास, जिन्हें गोस्वामी तुलसीदास के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू वैष्णव संत और कवि थे, जो भगवान राम की भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे. तुलसीदास ने संस्कृत और अवधी में कई लोकप्रिय रचनाएँ लिखीं, उन्हें महाकाव्य रामचरितमानस के लेखक के रूप में जाना जाता है, जो संस्कृत के राम के जीवन पर आधारित है. आइए जानते हैं महान संत तुलसीदास के दोहे (Tulsidas Ke Dohe) हिन्दी में.

तुलसीदास के दोहे 1-10

तुलसीदास के दोहे 1 -
तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर |
वशीकरण यह मंत्र है, तज दे वचन कठोर||

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार मीठी बोली बोलने से हर तरफ खुशिया फैल जाती हैं और सब कुछ खुशहाल रहता है. मीठे वचन बोलकर कोई भी व्यक्ति किसी को भी अपने वश मे कर सकता है. इसलिये मनुष्य को हमेशा मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये ।।



तुलसीदास के दोहे 2 -
बिना तेज के पुरुष की अवशि अवज्ञा होय।
आगि बुझे ज्यों राख की आप छुवै सब कोय ।।

हिंदी अर्थ-
आत्मज्ञान के बिना व्यक्ति, समाज में हर किसी से अपमानित हो जाता है। जैसे, अगर आग लगा दी जाए, तो हर कोई बिना किसी डर और हिचकिचाहट के आसानी से राख को छू सकता है।

तुलसीदास के दोहे 3 -
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक|
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ||
हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार किसी विपत्ति के समय आपको ये सात गुण ही बचायेंगे, आपका ज्ञान या शिक्षा, आपकी विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस, आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और ईश्वर में विश्वास।

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तुलसीदास के दोहे 4 -
काम क्रोध मद लोभ की जौ लौं मन में खान।
तौ लौं पण्डित मूरखौं तुलसी एक समान।।

हिंदी अर्थ-
तुलसी दास जी के अनुसार जब तक व्यक्ति के मन में काम, क्रोध, व्यसन और लालच का वास होता है तब तक विद्वान्  और बेवकूफ दोनों एक समान ही होते हैं।

तुलसीदास के दोहे 5 -
आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह।
तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार जिस घर में आपके जाने से लोग खुश नहीं होते और उन लोगों की आँखों में आपके लिए स्नेह नहीं होता. वहाँ हमें कभी नहीं जाना चाहिए, चाहे वहाँ धन की वर्षा हीं क्यों न हो रही हो.

तुलसीदास के दोहे 6 -
राम नाम मणि दीप धरु जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरू जो चाहेसी उजियार।।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार राम नाम का दीपक , कोई साधारण दीपक नहीं जो हवा या तूफ़ान से बुझ जाए, ऐसा पवित्र दीपक जीभ रूपी द्वार पर रख लो , तो लोक और परलोक दोनों प्रकाशमय हो जायेंगे , बहुत गहरी महिमा है राम नाम की.

तुलसीदास के दोहे 7 -
तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए।
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार भगवान पर विश्वाश रखें और किसी भी डर के बिना शांति से सोइए। कुछ भी अनहोनी नहीं होगी, और अगर कुछ अनहोनी होती भी है तो वो होकर ही रहेगी इसलिए बेकार में चिंता, परेशानी छोड़ कर मस्त जियें।



तुलसीदास के दोहे 8 -
तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग।
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार, इस दुनिया में अलग-अलग प्रकृति के लोग है, आपको सभी से प्यार से मिलना-जुलना चाहिए। जैसे एक नौका नदी से प्यार से सफ़र कर दूसरे किनारे तक पहुंच जाती है, ठीक उसी तरह मनुष्य भी अच्छे व्यवहार से भवसागर के उस पार पहुंच जाएगा।

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तुलसीदास के दोहे 9 -
दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छांड़िए जब लग घट में प्राण।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार दया, करुणा धर्म का मूल है और घमंड सभी बुराइयों की जड़ इसलिए मनुष्य को हमेशा दयावान रहना चाहिए।

तुलसीदास के दोहे 10 -
सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार मंत्री, वैध और गुरु यह तीनों अगर लाभ या डर के कारण अहित की मीठी बोली बोलते है तो देश, शरीर और धर्म के लिए यह जरूर विनाशकारी साबित होता है और इस कारण देश, शरीर और धर्म का जल्द ही पतन हो जाता है।

तुलसीदास के दोहे 10-17

तुलसीदास के दोहे 11 -
लसी पावस के समय, धरी कोकिलन मौन।
अब तो दादुर बोलिहं, हमें पूछिह कौन।

हिंदी अर्थ-
बारिश के मौसम में मेंढकों के टर-टर करने की आवाज इतनी ज्यादा हो जाती है कि कोयल की मीठी बोली उस शोर में दब जाती है| इसलिए कोयल चुप हो जाती है| यानि जब मेंढक रुपी कपटपूर्ण लोगों का बोलबाला हो जाता है तब समझदार व्यक्ति चुप ही रहता है और व्यर्थ ही अपनी उर्जा नष्ट नहीं करता।

तुलसीदास के दोहे 12 -
तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान।
भीलां लूटी गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार समय बहुत बलवान होता है, वो समय ही है जो किसी व्यक्ति को छोटा या फिर बड़ा बनाता है. जैसे एक बार जब महान धनुर्धर अर्जुन का समय ख़राब हुआ तो वह भीलों के हमले से गोपियों की रक्षा नहीं कर पाए.

तुलसीदास के दोहे 13 -
सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि।
ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकति हानि।

हिंदी अर्थ-
जो व्यक्ति अपने अहित का अनुमान करके शरण में आये हुए का त्याग कर देते हैं वे क्षुद्र और पापमय होते हैं |दरअसल ,उनका तो दर्शन भी उचित नहीं होता।

तुलसीदास के दोहे 14 -
मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक।
पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार मुखिया मुँह के समान होना चाहिए जो खाने-पीने को तो अकेला होता है लेकिन विवेक के साथ सब अंगों का पालन-पोषण करता है.

तुलसीदास के दोहे 15 -
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान  रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।

हिंदी अर्थ-
शूरवीर तो युद्ध में वीरता का कार्य करते हैं ,कहकर अपने को नहीं जनाते। शत्रु को युद्ध में उपस्थित पा कर डरपोक ही अपनी वीरता की डींग मारा करते हैं.

तुलसीदास के दोहे 16 -
सहज सुहृद  गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि।
सो पछिताइ  अघाइ उर अवसि होइ हित  हानि।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार हित चाहने वाले गुरु और स्वामी की सीख को जो सिर चढ़ाकर नहीं मानता, वह बाद में बहुत पछताता है और उसके हित को हानि पंहुचती है.

तुलसीदास के दोहे 17 -
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर।
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।

हिंदी अर्थ-
तुलसीदास जी के अनुसार खूबसूरत वस्तुओं को देखकर न केवल बेवकूफ बल्कि समझदार व्यक्ति भी धोखा खा जाते हैं. खूबसूरत मोर को ही देख लीजिये उसके मुह से तो अमृत बरसता है लेकिन उसका आहार साँप है.


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