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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व व इतिहास – 3rd Jyotirlinga

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आज हम आपको भगवान शिव के तीसरे ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) के इतिहास ,महत्त्व और उसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में बतायेंगे|

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है| जिसे महाकालेश्वर या महाकाल मंदिर कहते है| यह सभी 12 ज्योर्तिलिंग में से एक मात्र ऐसा ज्योर्तिलिंग है जो दक्षिणमुखी है| इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष प्राप्त होता है| इस मंदिर का वर्णन कवि कालिदास ने अपनी रचना “मेघदूत” में भी बहुत सुंदर किया है| यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है|

महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग की पौराणिक कथा –

इस ज्योर्तिलिंग से संबंधित दो पौराणिक कथाये प्रचलित है जैसे- शिव पुराण में स्थित कथा व राजा चंद्रसेन और बालक की कथा| यह दो कथाये इस ज्योर्तिलिंग की उत्पत्ति की अलग-अलग कहानी बताती है| लेकिन आज हम आपको शिव पुराण की “कोटि-रूद्र संहिता” में जो कथा कही गई है ,उसे बताते है|

अवंती नगर में एक वेद कर्मरत ब्राह्मण रहता था| प्राचीनकाल में उज्जैन नगर का नाम अवंती नगर था| वह ब्राह्मण शिव भक्त था| वह प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग निर्मित कर उसकी पूजा किया करता था|

वही दूसरी ओर रत्नमाल पर्वत पर एक दूषण नाम का राक्षस था ,जिसने कठिन तपस्या करके ब्रह्माजी से वरदान ले लिया था| वह वरदान लेकर सभी तीर्थस्थलों पर होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों को नष्ट कर रहा था|

एक दिन वह राक्षस अवंती नगर जा पहुँच| वहां जाकर उसने वह के सभी ब्राह्मणों को धार्मिक कार्यों को छोड़ने को कहा ,लेकिन जब ब्राह्मणों ने उसका कहना नहीं माना तो उसने वहां पर भी उत्पात करना तथा लोगों को मारना शुरू कर दिया|

जब राक्षस वेद कर्मरत ब्राह्मण के पास गया और उसने उस ब्राह्मण को भी शिव की पूजा करने से रोका ,लेकिन ब्राह्मण ने उसकी एक न सुनी और रोजाना की तरह पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करने लगा| राक्षस यह देखकर बहुत क्रोधित हुआ तथा उस ब्राह्मण को मारने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा ,तो उस पार्थिव शिवलिंग से विराट रूप धारण किए हुए ,हुंकार भरते हुए भगवान शिव प्रकट हो गये|

भगवान शिव उस राक्षस से कहने लगे ‘ मैं तेरा काल बन के आया हूँ , मैं महाकाल हूँ ‘ और उन्होंने उस राक्षस का वध कर दिया| तभी ब्राह्मण से भगवान शिव ने कहा –कि मैं तुम्हारी पूजा से बहुत प्रसन्न हूँ ,बताओं मैं तुम्हे क्या? वरदान दूँ ,तो उस ब्राह्मण ने कहाँ – हे महाकाल ,हे महादेव आप हम सब को मोक्ष प्रदान करे और जनकल्याण के लिए यही पर विराजमान हो जाये| अपने भक्त की विनती सुनकर कालो के काल महाकाल शिव भगवान ज्योर्तिलिंग के रूप में उसी स्थान पर विराजमान हो गये| तभी से सम्पूर्ण अवंती नगरी शिवमय व क्षिप्रा तट का यह स्थान मोक्षदायी हो गया|

महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास तथा बनावट –

वर्तमान समय में जो मंदिर स्थित है ,उसका निर्माण 1736 में महाराज राणाजीराव शिंदे ने कराया था| इसके बाद भी कई बार शिंदे परिवार ने इसकी मरम्मत कराई थी|

महाकालेश्वर मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है| इसके सबसे निचले भाग में महाकालेश्वर मंदिर ,बीच के भाग में ओमकारेश्वर मंदिर तथा सबसे ऊपर वाले भाग में नागचंद्रेश्वर मंदिर है| नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट साल में केवल एक बार ही नागपंचमी के दिन खोले जाते है| महाकालेश्वर मंदिर के बीचो-बीच एक जलकुंड भी स्थित है| इसके सबसे नीचे वाले भाग में नन्दी दीप स्थित है जो सदैव जलता रहता है| यहां पर नन्दी की विशाल मूर्ति भी स्थित है| इस मदिंर के प्रवेशद्वार के पास एक छोटा सा कक्ष है जहाँ पर प्रसाद मिलता है|

महाकालेश्वर मंदिर का महत्व –

  • इस मंदिर का शिवलिंग दक्षिणमुखी है|
  • इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने से मोक्ष प्राप्त होता है|
  • इस ज्योर्तिलिंग का श्रृंगार प्रतिदिन सुबह मुर्दे की ताजी भस्म से किया जाता है तथा भस्म आरती भी की जाती है|
  • यहाँ पर 12 साल में एक बार कुम्भ का मेला भी लगता है|
  • हर सोमवती अमावस्या पर हजारों शिव भक्त क्षिप्रा नदी पर स्नान करने को आते है|
  • फाल्गुनकृष्ण की पंचमी से लेकर महाशिवरात्रि तक यहाँ पर विशेष प्रकार की पूजा अर्चना होती है|
  • इसे पवित्र 18 शक्तिपीठों में शामिल किया गया है|

महाकालेश्वर मंदिर की समय सारणी –

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के खुलने का समय : सुबह 4:00 बजे ( भस्म आरती के साथ )

महाकालेश्वर मंदिर के बंद होने का समय : रात 11:00 बजे

आम जनता के लिए दर्शन का समय : सुबह 8:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक तथा रात 8:00 बजे से रात 11:00 बजे तक|

महाकालेश्वर मंदिर कैसे जाए –     

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आप बस ,रेल ,वायुयान या निजी साधन किसी से भी जा सकते है|

भगवान शिव की कितनी ज्योतिर्लिंग है? –

  1. Shree Bhimashankar Jyotirlinga, in Maharashtra
  2. Shree Mahakaleshwar Jyotirlinga, in Ujjain, Madhya Pradesh
  3. Shree Kedarnath jyotirlinga, in Rudraprayag, Uttarakhand
  4. Shree Mallikarjuna Jyotirlinga, Srisailam, Andhra Pradesh
  5. Shree Somnath Jyotirlinga, Gir, Gujarat
  6. Omkareshwar Jyotirlinga in Khanda, Madhya Pradesh
  7. Baidyanath Jyotirlinga in Deoghar, Jharkhand
  8. Ramanathaswamy Jyotirlinga in Rameshwaram, Tamil Nadu
  9. Nageshwar Jyotirlinga in Dwarka, Gujarat  / Jyotirling jageshwar (ज्योतिर्लिंग जागेश्वर)
  10. Kashi Vishwanath Jyotirlinga in Varanasi, Uttar Pradesh
  11. Trimbakeshwar Jyotirlinga in Nasik, Maharashtra
  12. Ghrishneshwar Jyotirlinga in Aurangabad, Maharashtra

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