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हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने, शिवलिंग आराधना करने के विशिष्ट तरीकों का वर्णन उपलब्ध हैं। कुछ ऐसी सामग्रियां और विधियां होती हैं जो विशिष्ट अराध्य देव को बहुत पसंद होती हैं, उनकी पूजा में उन सामग्रियों की उपलब्धता मनवांछित फल प्रदान करती है। तथा कुछ चीज़ो का निषेध भी है. जिनका प्रयोग करना उलटा परिणाम प्रदान कर सकता है।
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जहां कुछ चीजें आराध्य देवी-देवताओं को पसंद आती हैं वहीं कुछ उन्हें कतई नापसंद होती हैं, ऐसे में अगर उन्हें वे अर्पित की जाएं या उनकी पूजा में उन सामग्रियों का प्रयोग किया जाए तो यह समस्या का कारण बन सकता है। और आपको विशेष कर ध्यान रखना चाहिए.
भगवान शिव जिन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है और विनाशक भी। जहां वे अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न भी होते हैं तो क्रोध के कारण बहुत जल्दी रौद्र रूप भी धारण कर लेते हैं। भोलेंनाथ को देवो, मनुष्यो, और भूतो द्वारा पूजा जाता है. हम ये बात तो जानते ही हैं भगवान शिव को भांग-धतूरे का चढ़ावा बहुत पसंद है, आज हम आपको कुछ ऐसी सामग्रियां बताएंगे जिनका उपयोग शिव आराधना के दौरान बिल्कुल नहीं करना चाहिए या शिवलिंग पर नही चड़ाना चाहिए.
शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
शिवपुराण के अनुसार शिव भक्तों को कभी भी भगवान शिव को इन पांच वस्तुओं का प्रसाद नहीं चढ़ाना चाहिए। आइए जानते हैं क्या हैं वे पांच चीजें और उनसे जुड़ी रोचक कथाए या तर्क :
तुलसी
शिवपुराण के अनुसार असुर जालंधर की पत्नी तुलसी के मजबूत पतिधर्म की वजह से उसे कोई भी देव हरा नहीं सकता था। इसलिए भगवान विष्णु ने तुलसी के पतिव्रत को ही खंडित करने की सोची। वह जालंधर का वेष धारण कर तुलसी के पास पहुंच गए, जिसकी वजह से तुलसी का पतिधर्म टूट गया और भगवान शिव ने असुर जालंधर का वध कर उसे भस्म कर दिया। इस पूरी घटना ने तुलसी को बेहद निराश कर दिया उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया।
नारियल का पानी
हालांकि शिवलिंग पर नारियल अर्पित किया जाता है लेकिन कभी भी शिवलिंग पर नारियल के पानी से अभिषेक नहीं करना चाहिए। देवताओं को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद ग्रहण करना आवश्यक होता है लेकिन शिवलिंग का अभिषेक जिन पदार्थों से होता है उन्हें ग्रहण नहीं किया जाता। इसलिए शिव पर नारियल का जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
हल्दी
हल्दी का प्रयोग स्त्रियों की सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसलिए शिवलिंग पर कभी हल्दी नहीं चढ़ाई जाती, क्योंकि वह स्वयं शिव का रूप है। शास्त्रो के अनुशार शिवलिंग पुरुष से संबंधित है जबकि हल्दी को स्त्री से संबंधित बताया जाता है. और भोलें नाथ पर स्त्री से संबंधित किसी भी चीज़ को चड़ाने से माना किया जाता रहा है.
कुमकुम या सिंदूर
सिंदूर, विवाहित स्त्रियों का गहना माना गया है। स्त्रियां अपने पति की लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना हेतु सिंदूर लगाती हैं। लेकिन शिव तो विनाशक हैं, सिंदूर से उनकी सेवा करना अशुभ माना जाता है।
केतकी के फूल
एक दिन भगवान विष्णु और ब्रह्म देव, खुद को सबसे अधिक ताकतवर साबित करने के लिए आपस में युद्ध कर रहे थे। जैसे ही वे दोनों एक दूसरे पर घातक अस्त्रों का प्रयोग करने लगे वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव प्रकट हुए। शिव ने उन दोनों से इस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत का पता लगाने को कहा, भगवान शिव ने कहा कि दोनों में से जो भी इस सवाल का जवाब दे देगा वहीं सबसे श्रेष्ठ होगा।
भगवान विष्णु उस ज्योतिर्लिंग के अंत की ओर बढ़े लेकिन उस छोर का पता लगाने में नाकामयाब रहे। ब्रह्म देव भी ऊपर की ओर बढ़े और अपने साथ केतकी के फूल को ले गए। भगवान विष्णु ने अपनी हार स्वीकार कर ली थी। वापस आकर ब्रह्मा जी भगवान शिव से कहा कि उन्होंने ज्योतिर्लिंग के अंत का पता लगा लिया है और केतकी के फूल ने भी उनके झूठ को सच करार दे दिया। ब्रह्मा जी के इस झूठ ने भगवान शिव को अत्यंत क्रोधित कर दिया, क्रोध में आकर महादेव ने ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया और साथ ही उन्हें श्राप दे दिया कि उनकी कभी कोई पूजा नहीं होगी। ब्रह्माजी का वो कटा सिर केतकी के फूल में बदल गया। भगवान शिव ने केतकी के फूल को भी श्राप देकर कहा कि उनके शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। तबसे शिव को केतकी के फूल अर्पित किया जाना अशुभ माना जाता है।
भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग है? –
- Shree Bhimashankar Jyotirlinga, in Maharashtra
- Shree Mahakaleshwar Jyotirlinga, in Ujjain, Madhya Pradesh
- Shree Kedarnath jyotirlinga, in Rudraprayag, Uttarakhand
- Shree Mallikarjuna Jyotirlinga, Srisailam, Andhra Pradesh
- Shree Somnath Jyotirlinga, Gir, Gujarat
- Omkareshwar Jyotirlinga in Khanda, Madhya Pradesh
- Baidyanath Jyotirlinga in Deoghar, Jharkhand
- Ramanathaswamy Jyotirlinga in Rameshwaram, Tamil Nadu / Jyotirling jageshwar (ज्योतिर्लिंग जागेश्वर)
- Nageshwar Jyotirlinga in Dwarka, Gujarat
- Kashi Vishwanath Jyotirlinga in Varanasi, Uttar Pradesh
- Trimbakeshwar Jyotirlinga in Nasik, Maharashtra
- Ghrishneshwar Jyotirlinga in Aurangabad, Maharashtra
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