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भगवान को प्रसन्न करे इन 45 प्रकार की पूजा के द्वारा

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हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा के नियम का विधान है और 33 प्रकार के देवी-देवताओं वाले इस धर्म में सभी इष्ट देवों को एक विशिष्ट स्थान प्रदान किया गया है। हिन्दू धर्म परंपरा में घर में मंदिर होना महत्वपूर्ण माना गया है। घर में स्थान के हिसाब से छोटे-बड़े मंदिर बनवाए जाते हैं और बड़ी श्रद्धा के साथ उनमें देवी-देवताओं को स्थापित किया जाता है। माना जाता है इससे नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश बाधित होता है और घर में ईश्वर का आशीर्वाद बना रहता है। इन सभी के बावजूद कुछ ऐसे गलतियां हो जाती हैं, जिनकी वजह से शुभ की जगह परिवार पर अशुभ के बादल मंडराने लगते हैं। इनमे से कुछ भगवान् शिव को प्रसन्न करने के आसान उपाय भी है।

जानते हैं Pooja करने के ये 45 पूजा के नियम –

1. सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए। इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।

2. शंकर भगवान की पूजा विधि के अनुसार, शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। – शिव जी पर न चढ़ाएं ये वस्तुएं

3. मां दुर्गा को दूर्वा (एक प्रकार की घास) नहीं चढ़ानी चाहिए। यह गणेशजी को विशेष रूप से अर्पित की जाती है।

4. सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।

5. तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोडऩा चाहिए। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं।

6. शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना चाहिए। सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में पूजन और आरती होनी चाहिए। इसके बाद प्रात: 9 से 10 बजे तक दूसरी बार का पूजन। दोपहर में तीसरी बार पूजन करना चाहिए। इस पूजन के बाद भगवान को शयन करवाना चाहिए। शाम के समय चार-पांच बजे पुन: पूजन और आरती। रात को 8-9 बजे शयन आरती करनी चाहिए। जिन घरों में नियमित रूप से पांच बार पूजन किया जाता है, वहां सभी देवी-देवताओं का वास होता है और ऐसे घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है।

7. प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए। अपवित्र धातु जैसे एल्युमिनियम और लोहे से बने बर्तन। गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है।

8. स्त्रियों को और अपवित्र अवस्था में पुरुषों को शंख नहीं बजाना चाहिए। यह इस नियम का पालन नहीं किया जाता है तो जहां शंख बजाया जाता है, वहां से देवी लक्ष्मी चली जाती हैं।

9. मंदिर और देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने कभी भी पीठ दिखाकर नहीं बैठना चाहिए।

10. केतकी का फूल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए। – शिव जी पर न चढ़ाएं ये वस्तुएं

11. किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए। दक्षिणा अर्पित करते समय अपने दोषों को छोडऩे का संकल्प लेना चाहिए। दोषों को जल्दी से जल्दी छोडऩे पर मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी।

12. दूर्वा (एक प्रकार की घास) रविवार को नहीं तोडऩी चाहिए।

13. मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है। इस फूल को पांच दिनों तक जल छिड़क कर पुन: चढ़ा सकते हैं।

14. शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं। अत: इन्हें जल छिड़क कर पुन: शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।

15. तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है।

16. आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित किया जाता है। ऐसा नहीं करना चाहिए। फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए।

17. तांबे के बर्तन में चंदन, घिसा हुआ चंदन या चंदन का पानी नहीं रखना चाहिए।

18. हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलते हैं, वे रोगी होते हैं।

19. बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए।

20. पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर करनी चाहिए। यदि संभव हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में पूजा अवश्य करें।

21. पूजा करते समय आसन के लिए ध्यान रखें कि बैठने का आसन ऊनी होगा तो श्रेष्ठ रहेगा।

22. घर के मंदिर में सुबह एवं शाम को दीपक अवश्य जलाएं। एक दीपक घी का और एक दीपक तेल का जलाना चाहिए।

23. पूजन-कर्म और आरती पूर्ण होने के बाद उसी स्थान पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएं अवश्य करनी चाहिए।

24. रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रांति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोडऩा चाहिए।

25. भगवान की आरती करते समय ध्यान रखें ये बातें- भगवान के चरणों की चार बार आरती करें, नाभि की दो बार और मुख की एक या तीन बार आरती करें। इस प्रकार भगवान के समस्त अंगों की कम से कम सात बार आरती करनी चाहिए।

26. पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिए, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी,सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिए।

27. गणेश या देवी की प्रतिमाए तीन तीन, शिवलिंग दो, शालिग्राम दो, सूर्य प्रतिमा दो,गोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें।

28. अपने मंदिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार,काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियां न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरंत हटा दें। शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित की गई है। जो भी मूर्ति खंडित हो जाती है, उसे पूजा के स्थल से हटा देना चाहिए और किसी पवित्र बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। खंडित मूर्तियों की पूजा अशुभ मानी गई है। इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ शिवलिंग कभी भी, किसी भी अवस्था में खंडित नहीं माना जाता है।

29. मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता –पिता तथा पित्रों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें,उन्हें घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करें।

30. विष्णु की चार, गणेश की तीन,सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं। – आंवले में होते है शिव जी और विष्णु जी

31. घर में गणेश जी की मूर्ति होनी चाहिए लेकिन कभी भी घर में मंदिर में गणेश जी की तीन मूर्तियां स्थापित नहीं होनी चाहिए। ये फायदे की जगह नुकसान पहुंचाता है।

32. आमतौर पर घर के मंदिर में लोग शंख रखते हैं लेकिन अगर आपने अपने मंदिर में 2 शंख रखे हुए हैं तो आपको एक हटा देना चाहिए। दो शंखों का होना अशुभ होता है।

33. घर में कभी बहुत बड़ा शिवलिंग स्थापित नहीं करना चाहिए। माना जाता है शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है, अगर आपको शिवलिंग की स्थापना करनी भी है तो वह आपके अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए।

34. मंदिर में कभी भी खंडित मूर्तियों को नहीं रखना चाहिए। अगर कोई मूर्ति खंडित हो भी गई है तो उसे पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना ही बेहतर है।

35. मंदिर में पूजा करते समय जलाया गया दीपक बुझना नहीं चाहिए। अगर पूजा के बीच में ही दीपक बुझ जाता है तो इससे पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता। और ना ही दीपक को ज़मीन पर रखना चाहिए.

36. मंदिर वाले स्थान पर जूते-चप्पल, विशेषकर चमड़े से बने हुए नहीं रखने चाहिए। अपने मृत पूर्वजों की तस्वीर को भी मंदिर में नहीं लगाया जाना चाहिए।

37. अगर आप पूर्वजों की तस्वीरें लगाना चाहते हैं तो उसके लिए दक्षिण दिशा सबसे उत्तम है। परंतु अगर दक्षिण दिशा में मंदिर है तो वहां भी पूर्वजों की तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए।

38. मंदिर में भगवान को अर्पित किए जाने वाले फूल-पत्तियां बिना धुली नहीं होनी चाहिए। उन्हें एक बार स्वच्छ पानी से अवश्य धो लें।

39. भगवान के मंदिर के आसपास या ऊपर कूड़ा या कबाड़ इकट्ठा नहीं करना चाहिए।

40. पूजा या फिर कोई भी अन्य धार्मिक कार्य करते समय कभी भी खंडित दीपक या फिर कोई खंडित सामग्री का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

41. मंदिर में जलाए गए घी के दीपक के लिए सफेद रंग की बत्ती उपयुक्त है और तेल का दीपक जलाने के लिए लाल धागे की बत्ती सर्वश्रेष्ठ बताई गई है।

42. पूजा के बाद पूरे घर मे घंटी ज़रूर बजाए. जिससे नकारात्मक उर्जा बाहर रहे.

43. रोज रात से पहले मंदिर के आगे कपड़े का परदा ज़रूर डाले.

44.पूजन कक्ष के आस पास शोचलाय बिल्कुल भी नही होना चाहिए.

45. पूजा मे कभी भी बासी फूल या पत्ते या कोई भी सामग्री इस्तेमाल नही करना चाहिए.

यह सच है कि भगवान अपनी पूजा से नहीं वरन् अपने लिए श्रद्धा से प्रसन्न होते हैं। लेकिन कुछ विधि-विधान ऐसे हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है। आप अगर ऊपर दिए गये नियमो मे से सभी को अगर मानने की कोशिश करेगे तो शायद आपकी बात सही जगह जल्दी और सही पहुचे.

ह्मे आपके सलाह का इंतजार है. कॉमेंट बॉक्स का प्रयोग करे.

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