“बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वयं वनवासी हैं, निवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं. भारतीय समुदाय को उत्तर से लेके दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक, सबको जोड़ने का काम बजरंगबली करते हैं।” उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा अलवर जिले के मालाखेड़ा की एक चुनावी रैली में बड़बोले बयान के बाद सोशल मीडिया पर भूकंप और मुख्यधारा की मीडिया में सुनामी आ चुकी हैं। तमाम तथाकथित बुद्धिजीवी व पोंगा-पंडित इस चुनावी ‘दलित’ भूकंप और सुनामी से आहत होकर कराह रहे हैं।
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पीठाधीश्वर शारदा द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने योगी जी के मत पर प्रश्न किया कि बजरंगबली कैसे दलित समुदाय से ताल्लुक रखते थे अब यह मुख्यमंत्री बताने का कष्ट करें। भगवान को दलित कहना यह स्वयं में एक अपराध के साथ-साथ पाप है, क्योंकि हमारे यहां दलित नाम का कोई शब्द नहीं था। दलित उस शख्स के साथ जोड़ा जाता है जिसके साथ कभी अत्याचार हुआ हो, जो अत्याचार से पीड़ित हो।
अब इस बयान पर नेशनल कमीशन ऑफ शेड्यूल ट्राइब के चेयरमैन, नंद कुमार साय ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। नंद कुमार साय ने एक तरह से योगी के बात का समर्थन करते हुए कहा, वनवासी हम भी हैं और इसलिए मैं बता दूं कि लोग यह समझते हैं कि राम की सेना में वानर, भालू, गिद्ध थे। इस पर शोध करेंगे तो पायेंगे हमारी जनजाति में है। उरांव जनजाति में तिग्गा वानर है। जिस समाज से मैं हूं वानर गोत्र है.कई लोगों का गोत्र गिद्ध है। आप मानेंगे कि जंगलों में हमारे लोग रहते थे और वही भगवान राम के साथ बड़ी लड़ाई में शामिल हुए थे।
भगवान बजरंगबली की जाति को लेकर बयानो का सिलसिला यही कहा रुकने वाला था। भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि दलितों को चाहिए कि जितने भी हनुमान मंदिर हैं उन पर कब्जा कर लें और और आने वाले चढ़ावे को भी अपने कब्जे में ले लें। वही मंगलवार को मुजफ्फरनगर के हनुमान मंदिर पर वाल्मीकि क्रांति दल के सदस्य पहुंच गए। सिद्धपीठ संकटमोचन श्री हनुमान मंदिर पर ‘दलित हनुमान मंदिर‘ लिखा बैनर लगा दिया। दल के अध्यक्ष दीपक गंभीर ने पुजारी को मंदिर से बाहर कर गद्दी पर बैठ गए और आने वाले श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर प्रसाद का वितरण किया।
हनुमान जी के दलित होने से उत्पन्न विवाद में, अपनी उपस्तिथि दर्ज करवाते हुए बहराइच से भारतीय जनता पार्टी की क्रन्तिकारी सांसद सावित्री बाई फूले ने सीएम योगी के दावों का समर्थन करते हुए एक कदम आगे बढ़कर फ़रमाया हैं कि ‘हनुमान दलित थे और मनुवादियों के गुलाम थे. अगर लोग कहते हैंं कि भगवान राम हैं और उनका बेड़ा पार कराने का काम हनुमान जी ने किया था. उनमें अगर शक्ति थी तो जिन लोगों ने उनका बेड़ा पार कराने का काम किया, उन्हें बंदर क्यों बना दिया? उनको तो इंसान बनाना चाहिये था लेकिन इंसान ना बनाकर उन्हें बंदर बना दिया गया. उनको पूंछ लगा दी गई, उनके मुंह पर कालिख पोत दी गयी. चूंकि वह दलित थे इसलिये उस समय भी उनका अपमान किया गया.‘
हनुमान जी के दलित होने के दावों पर केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि ‘भगवान राम और हनुमान जी के युग में इस देश में कोई जाति व्यवस्था नहीं थी, कोई दलित, वंचित, शोषित नहीं था. वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस को आप पढ़ेंगे तो आपको मालूम चलेगा कि उस समय को जाति व्यवस्था नहीं थी.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘हनुमान जी आर्य थे. इस बात को मैंने स्पष्ट किया है, उस समय आर्य जाति थी और हनुमान जी उसी आर्य जाति के महापुरुष थे.’
हनुमान जी के दलित होने के दावों पर कितनी सच्चाई हैं यह तो स्वयं पवनसुत बजरंगबली ही बता पाएंगे। फ़िलहाल इस चुनावी सर्दी में हनुमान जी, फायर ब्रांड मुख्यमंत्री योगी साहेब के द्वारा स्वयं को दलित घोषित करने पर कितनी आपत्ति, आलोचना व कड़ी निंदा दर्ज करनी हैं इसपर विचार ही रहे होंगे।
पिछड़ा प्रधानमंत्री, दलित राष्टपति, जनेवधारी राहुल गाँधी, आदिवासी मुख्यमंत्री, मुस्लिम राज्यपाल…… आदि – इत्यादि के संग अभी तक इंसानो को अलग-थलग कर चुकी रक्त पियासु राजनितिक पार्टियां और उनके नेताओ की नजर अब भगवानो पर हैं। जो अपने घर की रोटी सेकने के लिए मुख्य मुद्दों को तिलांजलि देकर मंदिर-मस्जिद के बाद अब भगवान को भी जाति-गोत्र में बांटने में लग गयी है।
धर्म का जितना मुझे मर्म हैं, उसके अनुसार प्रभु श्री राम के दुलारे भगवान बजरंगबली राजनाथ चचा टाइप से छोटी, मोटी और खोटी घटनाओं की कड़ी निंदा नहीं करते। सीधा बिकट रूप धरि लङ्क जरावा और भीम रूप धरि असुर सँहारे कर भूत पिसाच रूपी इन बड़बोले नेताओ से मुक्ति का मार्ग प्रसस्त करेंगे।
तो प्रेम से कहिये….
पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
सियावर रामचंद्र की जय।
पवनसुत हनुमान की जय।