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तेरे शहर में प्यार की कदर क्यों नहीं हैं..?

तेरे शहर में प्यार की कदर क्यों नहीं हैं..?

गर्म-ठंडी फिजाओं में नफरतों की बदबू,

जहरीली-बड़ी घूरती आंखे,

चक्षुओं में उभरा रक्तसंचार,

चेहरे पर बदले की लकीरें,

घर उजाड़ने की तकरीरें,

बैचैनी संग चेतावनी,

सभ्यता-संस्कृति की राग-दुहाई,

जाति धर्म की घेराबंदी,

प्रेमी-युगलों पर नाकाबंदी,

और, हमारे प्यार के गर्मागर्म चर्चे..!

एक बात बताना हमें प्रियवर…

यहां की शब्दों में इतनी जहर क्यों हैं..?

तेरे शहर में प्यार की कदर क्यों नहीं हैं..?

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©पवन Belala Says 2018



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