स्कर्ट इंडेक्स एक ऐसा पैमाना है जो किसी भी देश की आर्थिक हालत जानने के लिए लड़कियों की स्कर्ट देखकर देश की हालत का अंदाजा लगा लेता है। इस फॉर्मूले के अनुसार जिस देश में लड़कियों की स्कर्ट जितनी छोटी होती है, वहां की इकोनॉमी उतनी ही मजबूत होती है।
लड़कियों की छोटी स्कर्ट:
# इस पैमाने के अनुसार अगर लड़कियों लंबी स्कर्ट पहनती हैं तो माना जाता है कि उस देश के हालात आर्थिक रूप से अच्छे नहीं होते। 1926 में अमेरिका के अर्थशास्त्री जॉर्ज टेलर इसी फॉर्मूले को मानते थे। वह लड़कियों की स्कर्ट देखकर ही इस बात का पता लगाते थे कि किस देश के पास कितना पैसा है।
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# यह फॉर्मूला कहता है कि गिरते बाजार के साथ-साथ लड़कियों का छोटी स्कर्ट पहनने का चलन भी कम हो जाता है। मंदी के समय में पाया गया कि लड़कियों ने छोटी स्कर्ट पहनना कम कर दिया। लड़कियां छोटी स्कर्ट इसलिए पहनती हैं, ताकि वे अपना स्टेटस दिखा सकें।
लड़कों की अंडरवियर:
# पुरुषों का अंडरवियर भी काफी कुछ बता देता है। इस रिपोर्ट का कहना है कि मर्दों का कम अंडरवियर खरीदना इस बात का संकेत देता है कि उस देश की आर्थिक हालात खराब है। इसमें मर्दों का यह मानना होता है कि वह अंडरवियर खरीदने की योजना को भविष्य के लिए टाल सकते हैं।
# जब पैसे अधिक होंगे तो अंडरवियर खरीद लिया जाएगा। इस तरह से अगर कम अंडरवियर खरीदना किसी देश की खराब आर्थिक स्थिति, जबकि अधिक अंडरवियर खरीदना उस देश की मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।
2011 में द एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार मर्दों के अंडरवियर की बिक्री 7 परसेंट बढ़ी थी और उसी दौरान देश की आर्थिक स्थिति भी पहले की अपेक्षा मजबूत काफी हुई थी।