आज हम आपको योग,ध्यान और त्राटक साधना से तीसरी आँख को कैसे खोल सकते है उसके बारे में थोडा विस्तार से बताने वाले है. वैसे यह वैदिक प्रक्रिया है यह आज को कलयुग में नहीं हो सकती पर फिर भी आज हम यहाँ पर कुछ ऐसी जानकारी आपको देने वाले है जिससे यह संभव हो सकता है, तो चलिए जानते है की कैसे योग, ध्यान की मदद से अपनी तीसरी आँख को खोल सकते है.
भगवान शिव का वो चित्र तो आपने देखा ही होगा जिसमे भगवान शिव के दोनों भौंहों के बीच तीसरा नेत्र दिखता है. हमारा वैदिक पुराण भी इसी की और संकेत करता है और इसको योगाभ्यास से साधक अपने तीसरे नेत्र यानी विवेक दृष्टि को जगा सकता है.
यौगिक द्रष्टि से यदि देखा जाये तो योग साधना का सतत अभ्यास करते रहने से यह ग्रंथि विकसित की जा सकती है और वह सब देखा समझा जा सकता है जो इस दिखाई दोनों आँखों से दिखाई नहीं देता. हमारे शास्त्रों में तो यहाँ तक बताया गया है की इसी द्रष्टि यानि की तीसरी आँख में वो भी क्षमता है जिसकी मदद से किसी को शाप देना या फिर किसी को वरदान देना यह भी संभव हो सकता है.
योग शास्त्र में ऐसा माना जाता है की लगातार त्राटक करने से यह तीसरा नेत्र खुल जाता है और ऐसा आप किसी दीपक की मदद से कर सकते है. इसके लिए आपको कंधे की सीध में तिन फुट की दूरी पर दीपक या मोमबत्ती को जलाकर रखनी होती है और इसको जलाने के बाद करीब 30 सेकंड से लेकर 1 मिनिट तक देखने के क्रम को बार-बार दोहराया जाता है.
पश्चिमी दुनिया में एक विभिन्न तरीके त्राटक करने के उल्लेख भी मिलते है जिसमे कुछ विशेष अभ्यासी एक काला गोला बनाते हैं और ठीक बीच में एक सफेद निशान बनाकर त्राटक करते है. कुछ लोगो का तो ऐसा भी कहना है की गुलाब के फूल पर ध्यान करने से भी यह सिद्ध हो सकता है.
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