मीठी मीठी यादों को पलकों पे सजा लेना, साथ गुज़रे लम्हों को दिल में बसा लेना, मैं तो बरसों का प्यासा हूँ, ‘फराज़’ बिजली आ जाये तो याद से मोटर चला देना
आऊंगा तेरी गली गधे को लेकर, अब तेरे नखरों का बोझ मुझसे उठाया नहीं जाता
ये बारिश का मौसम बहुत तड़पाता है, वो बस मुझे ही दिल से चाहता है, लेकिन वो मिलने आए भी तो कैसे...? उसके पास न रेनकोट है और ना छाता है
चुड़ैलों को तो हमनें यूँही बदनाम कर रखा हैं, वरना रातों की नींद तो पापा की परियॉ उड़ा रखी हैं
Huम ने तुम्हारी याद में रो-रो के टब भर दिए, तुम इतने बेवफा निकले कि नहाकर चल दिए
क्रश हो या ब्रश, वक़्त रहते बदल लेना चाहिए, क्योंकि दिल हो या दांत, समय आने पर टूट ही जाते हैं
जिसे कोयल समझा वो कौवा निकला, दोस्ती के नाम पर हौवा निकला, जो रोकते थे हमें शराब पीने से, आज उन्हीं की जेब में पौवा निकला
दोस्तो हम उन्हें मुड़ मुड़कर देखते रहे, और वो हमें मुड़-मुड़ कर देखते रहे, वो हमें हम उन्हें, वो हमें हम उन्हें, क्योंकि परीक्षा में न उन्हें कुछ आता था न हमे