Inspirational storie in hindi
एक बार एक धनिक किसान को वारसे में बहुत बड़े खेत और गौशाला मिली | अति धनिक को इतना सब कुछ वारसे में मिलते ही किसान एकदम आलसी हो गया | पूरा दिन घर में बैठ के मित्रो के साथ गप्पे मारता और हुक्का पिया करता था | खेत और गौशाला के प्रति जरा भी ध्यान नहीं देता था | उसके रिश्तेदार और नोकर चाकर खेत में से अनाज और गौशाला में से दूध चोरी करते रहते थे | किसान को उसका जरा सा भी अंदाजा नहीं था |
Inspirational storie in hindi
- सिखने की सीमा
एक बार धनवान किसान को उसके मित्र ने कहा , “ जंगल में एक ऐसे संत महात्मा आये है जिसके पास हर समस्या के नुश्खे है और हर समस्या का समाधान है | उनके पास एक ऐसा भी नुश्खा है जिसको अजमाने से व्यक्ति खुद ही अपने आप ज्यादा से ज्यादा धनिक होता जायेगा | “
- भगवान का अनादर
धनिक किसान ने बोला इसमें कौनसी बड़ी बात है ? इस तरह से धन में वृद्धि होती हो तो सूर्योदय से पहले उठने में क्या हर्ज है ?
अगले ही दिन धनिक किसान सूर्योदय से पहले उठा और हंस को ढूँढने के लिए अपने खेतों में चल पड़ा | उसने देखा की उसके खेत में से उसके ही रिश्तेदार पके अनाज की बोरीयां भरकर बेल गाड़ी में चोरी करके ले के जा रहे थे | किसान ने उस रिश्तेदार को पकड़ा और उसने इस गलती की माफ़ी मांगी | फिर कभी भी ऐसा नहीं करेगा ऐसा वचन दिया | इसके बाद किसान गौशाला में पंहुचा | उसने देखा की उसके नोकर लोग दूध की चोरी कर रहे थे , किसान ने उन सबको धमकाया और आगे बढ़ा | उसको ख्याल आया की खेत का चौकीदार चोकी करने की जगह शांति से सो रहा है तभी यह सब होता है इसलिए उसने चौकीदार को भी जगाया और बराबर धमकाया |
- दो इंच की झुबान बनी महाभारत का कारण
यह धनिक किसान अब रोज खेत में आने लगा और उस हंस की राह देखने लगा | इसकी वजह से सब नौकर सतर्क हो गए और महेनत करने लगे | उसके रिश्तेदार चोरी छुपे से अनाज चुराके जाते थे वह सब बंध हो गया | हर जगह पे महेनत और ईमानदारी से काम चलने लगा |
- हार की जीत
सूर्योदय से पहले यह धनिक किसान खेत में आता था इसकी वजह से उसके स्वास्थ्य में भी सुधार आया और वह स्फूर्तिमय रहने लगा | बीमारी घटने से खर्च कम हो गया | खेत और गौशाला की आवक एकदम से बढ़ गयी | इस तरह उसको धन में तो बहुत वृद्धी हुई लेकिन हंस कभी भी नहीं दिखाई दिया |
एक दिन वह महात्मा से मिला और बताया की आपके कहने से धन में तो वृद्धि हुई है लेकिन मुझे वह हंस कहीं भी नहीं दिखाई दिया | महात्मा शांति से बोले की “ अभी भी तुम उस हंस को नहीं पहचान पाए ? यह हंस तुम्हारा परिश्रम है , जिसकी वजह से तुम्हारी संपति में इतनी वृद्धी हुई है |
Moral Of the Storie :
“ अपने काम के प्रति कभी भी आलसी नहीं होना चाहिए | हर बीमारी का सिर्फ एक ही इलाज है और वह है परिश्रम | परिश्रम करने वाला व्यक्ति कभी भी पीछे नहीं पड़ता है | आपको कहीं भी हंस को ढूँढने की जरूर नहीं है , अगर सच्चे दिल से और महेनत से हर कार्य किया जाये तो आपका परिश्रम ही हंस के समान है | “