पारुल रोहतगी
वैदिक ज्योतिषाचार्य
शास्त्रों में उल्लेख है कि बृहस्पति मंत्र के जप और पूजन से भाग्योदय होता है और विवाह संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं। पढिए गुरु ग्रह की पूजन विधि और मंत्र-:
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गुरुवार के दिन स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें। नवग्रह मंदिर में बृहस्पति देव की मूर्ति पर केसर मिला हुआ दूध और पवित्र जल चढ़ाएं। पीला चंदन, पीले फूल या माला, पीला वस्त्र, हल्दी से रंगी हुई पीली जनेऊ, पीले फल, हल्दी, पीला अन्न चढ़ाएं और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। गाय के दूध से बने हुए शुद्ध घी का दीपक जलाएं। धूपबत्ती लगाएं। पीले आसन पर बैठकर गुरु मंत्र का जप करें।
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मंत्र-
जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:
पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।
सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे
सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।
ध्यान रहे मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। मंत्र जप के बाद बृहस्पति की आरती करें। गुरु ग्रह से संबंधित पीली चीजें जैसे पीली दाल, कपड़े, गुड़, सोना आदि का अपनी सामर्थ्यानुसार दान करें।
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