पारूल रोहतगी
वैदिक ज्योतिषाचार्य
कुंभ लग्न में सप्तमेश स्थान पर सूर्य होता है एवं यह मारक स्थान भी है। लग्न भाव के स्वामी शनि और सूर्य के बीच शत्रुता के कारण इन जातकों को माणिक्य पहनने से लाभ होगा। इस राशि के लग्न स्थान में छठे भाव का स्वामी चंद्रमा होता है। यह भी शत्रु स्थान का भाव है जिसका स्वामी है। ऐसी स्थिति में जातकों को मोती धारण नहीं करना चाहिए।
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कुंभ राशि के लग्न स्थान पर तृतीयेश और दशमेश में मंगल होता है। मंगल के दशमेश एवं वृश्चिक राशि पर स्थित होने की दशा में मंगल की महादशा के समय मूंगा पहनना लाभकारी होगा। ध्यान रहे, सामान्य रूप से कुंभ लग्न के जातकों को मूंगा ज्यादा लाभ नहीं पहुंचाता।
कुंभ लग्न में बुध पंचमेश और अष्टमेश का स्वामी होता है जो कि इस लग्न में होने पर शुभ फल देता है। इन जातकों के लिए पन्ना लाभकारी है। बुध की महादशा के समय पन्ना जीवन में सकारात्मकता को बढ़ाता है।
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इस राशि के लग्न स्थान में दूसरे और ग्यारहवें भाव में गुरू होता है। इसे धन और लाभ भाव भी कहा जाता है। बृहस्पति और कुंभ लग्न के स्वामी में शत्रुता के कारण इन जातकों को पुखराज धारण नहीं करने की सलाह दी जाती है।
कुंभ राशि के लग्न स्थान पर चर्तुथेश और नवमेश में शुक्र ग्रह होता है। इस लग्न में जन्मे जातकों के लिए यह योगकारक ग्रह माना जाता है। यह जातक हीरा पहनें तो इन्हें अपार लोक-प्रसिद्धि मिलती है। शुक्र की महादशा के समय हीरा धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
कुंभ लग्न में शनि अपनी स्थिति के अनुसार अलग-अलग प्रभाव डालता है। यह द्वादश में होने पर अशुभ फल देता है तो इसके विपरीत लग्न भाव का स्वामी शनि होने पर यह शुभ फल देता है। कुंभ लग्न के जातकों को जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति हेतु नीलम धारण करना चाहिए।
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