तलास- नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद की
Sad guru ki Tallas |
Talaas – Narendra Se Swami Vivekanand Ki
बात उस समय की है जब Swami Vivekananda नरेंद्र के नाम से जाने जाते थे और वो ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक great teacher की तलाश में थे । वो एक महान ज्ञानी की तलाश में थे, जो उनको सही direction दिखा सकें व जीवनोपयोग ज्ञान प्रदान करे, जिससे वो अपने जीवन पथ पर निरंतर (regular) उन्नति करते जाये।
Vivekananda को बहुत से लोगों ने भिन्न – भिन्न गुरुओं के पास जाने की सलाह दी। और वो बहुत से teachers के पास गये पर उनको उनसे वो नहीं मिला, जिसकी उनको तलाश थी, वो उनसे संतुष्ट नहीं हुए ।
Vivekananda को learning (ज्ञान प्राप्ति की ) की इतनी प्यास थी की वो अपनी इस असफलता से निराश नहीं हुए, और वो इस थका देने वाली अपनी खोज में continuously लगे रहे ।
तभी उनको किसी ने Swami Ramakrishna Param Hans के पास जाने की सलाह दी। विवेकानंद जी ने भी उनके बारे में बहुत – कुछ सुना था, इसलिए वो उनसे मिलने को व्याकुल हो उठे, पर स्वामी रामकृष्ण परमहंस किसी को अपना student आसानी से नहीं बनाते थे । और जिनको वो अपना student बनाते थे, उनका वो बहुत कठिन exam लेते थे । अत: उनका शिष्य बन पाना बहुत कठिन था ।
लेकिन विवेकानंद तो ज्ञान के प्यासे थे, इसलिए वो एक दिन स्वमी रामकृष्ण परमहंस के घर पहुँच ही गये । उन्होंने दरवाजा खटखटाया तो अंदर से स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी ने पूँछा “ कौन है ?” इस पर विवेकानंद जी ने बड़ी ही सहजता से answer दिया –“ यही तो जानने आया हूँ कि मैं कौन हूँ ।” विवेकानंद का answer सुनकर, स्वामी रामकृष्ण परमहंस खुश हो गए और उन्होंने बड़ी प्रसन्नता से विवेकानंद को अपना शिष्य बना लिया ।
एक great guru को पा कर, Vivekananda की तलाश जब पूर्ण हो गयी, तब जा कर उनके शिष्य मन को शान्ति मिली । और साथ ही ज्ञान प्राप्ति के मार्गों की talaas को एक नया आयाम ।
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