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ख्वाहिशें : (प्यारी सी जुगलबंदी)


ख्वाहिशें : (प्यारी सी जुगलबंदी)


एक SMS: ख्वाबों खयालों की रातें हैं, कहनी सुननी उनसे कई बातें हैं...

Nayika: आज की मुलाकात बस इतनी...कर लेना बातें चाहे का जितनी...

Nayika: अच्छी नहीं होती है जिद इतनी...देखो हमें है तुमसे प्रीत कितनी...:)(note * dil par naa len)...:D

Jogi: जो ये नोट हटे...और बात सच्ची गर निकले दिल से...तो शायद बात तुम्हारी हम मान लें...

Nayika: बात हमारी क्यों नहीं मान लेते...और जब है इतना ही गुरुर...तो खुद ही क्यों नहीं जान लेते...?

Jogi: हैं तैयार मान जाने को बात तुम्हारी...बाकी रहा कहाँ अब गुरुर भी खुद पर...हो गयी मुद्दतें...बह गया गुरुर भी अब तुमको जानते-समझते...

Nayika: हम भी तो वो कहाँ रहे...जब से हैं तुमसे मिले...

Jogi: जाने क्या थे तुम और क्या थे हम जाने...बस दो जिस्म और दी ही अलग सी जान थे हम...गुजर गयीं मुद्दतें तब जाकर जाना...क्या होता है अहसास दो से एक हो जाने का...

Nayika: अब मौत भी आ जाए तो गम नहीं...कि किसी धडकन बन...रहना आ गया है हमें...

Jogi: वाकई होता है जुडा सा वो अहसास जिसमें जीना हमें बन धडकन किसी और की रहना होता है...हमसे ज्यादा हमारे लिए खुश कोई और ही हो रहने लगता है...

Nayika: हर साँस में वो है...हर अहसास अब उसके दम से है...उसकी उदासी सबब मेरे अश्कों का है...और हर खुशी भी है अब उसी के दम से...

Jogi: जो होने लगे तरंगित ह्रदय के तार किसी के नाम पर...होने लगी झंकृत श्वासें उसी के नाम पर...समझो हुआ हक अपने जीवन से हटकर आधा अब उसी के नाम पर...

Nayika: वही तो फकर है...मुझे अपनी चाहत पर...और मेरी बंदगी भी है...उसी के नाम पर...

Jogi: न जाना मैंने कभी हर्फ़ चाहत के...और न जाना हर्फ़ कोई बंदगी सा...जो जाना है तो बस इतना कि हर अहसास मेरा है गिरवी किसी और के नाम पर...खेल ले फिर चाहे बेक दे (बेच दे)...सारे हक अब हैं ये उसी के नाम पर...

Nayika: उसी चाहत ने...कुछ इस तरह हक अदा किया...बड़े मामूली से इंसान थे...हमें खुदा ही बना दिया...

Jogi: खुदा-खुदा करते देख न सके जाने कब जिगर के वो मालिक बन बैठे...थे पते दो अलग जगहों के...किस कदर देखो आज हम लापता बन बैठे...

Nayika: नजदीकियाँ इस कदर न बढाइये कि...हम खुद को खो दें...भुला कर अपना नाम पता...संग आप ही के हों लें...

Jogi: न देखो तुम न हम देखें...किस दिल में जाने कौन बसा किस शिद्दत से...कुछ न कहकर चलो बन जायें अजनबी एक दूजे के अरमानों से...

Nayika: ना वो देख पाएंगे...ना हम जता पाएंगे...चलो इसी बहाने...चाहत उनकी...इस जहान से छुपा ले जायेंगे...

जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh

2012-09-15 (सितम्बर)
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