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Jeevan Beet Chala, Kal Kal Karte Aaj. / जीवन बीत चला, कल कल करते आज,

अटल बिहारी वाजपेयी :- मैंने बहुत कम कवितायें लिखी हैं । वक़्त नहीं मिलता, लेकिन जब कभी साल-गिरह आती है, तब पिछले कुछ सालों से मैं हर साल-गिरह पर एक कविता लिखता हूँ ।

जीवन की ढलने लगी साँझ,
उमर घट गयी, ड़गर कट गयी,
जीवन की ढलने लगी साँझ,
बदलें हैं अर्थ, शब्द हुए व्यर्थ,
शांत बिना खुशिया हैं बांझ,
जीवन की ढलने लगी साँझ ।

जीवन बीत चला, जीवन बीत चला,
कल कल करते आज,
हाथ से निकले सारे,
भूत भविष्य कि चिन्ता में,
वर्तमान कि बाज़ी हारे,
पहरा कोई काम ना आया,
रसघट रीत चला,
जीवन बीत चला, जीवन बीत चला ।

हानि लाभ के पलड़ों में,
तुलता जीवन व्यापार हो गया,
मोल लगा बिकने वाले का,
बिना बिका बेकार हो गया,
मुझे हाट में छोड़ अकेला,
एक एक कर मीत चला,
जीवन बीत चला, जीवन बीत चला ।

  • Atal Bihari Vajpayee.
  • Jagjit Singh.


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