महीपाल की किताब 'हिन्द और हिन्दू' भारत के हजारों सालों के इतिहास का संक्षिप्त व्योरा है। पुस्तक में पूर्व पाषाण काल की पंजाब की सोन की घाटी की सोन या सोहन संस्कृति से लेकर आजाद हिंद फौज तक के घटनाक्रमों को नये दृष्टिकोण और सामयिक संदर्भों के साथ प्रस्तुत किया गया है। इतिहास की पुस्तकें सामान्यतया एकरस और अरूचिकर पायी जाती हैं पर यह पुस्तक रोचक बन पाई है क्योंकि महीपाल नयी संभावनाओं पर शोधपरक निगाह रखते हैं। आप उनसे सहमत-असहमत हो सकते हैं पर इससे इनकार नहीं कर सकते कि किताब पढते हुए आप अब तक ज्ञात तथ्यों पर पुनर्विचार को राजी और कहीं कहीं मजबूर हो जाते हैं। करीब 182 पृष्ठों की पुस्तक में इतने लंबे काल को इस तरह समेटा गया है कि आप किस्से- कहानियों की किताब की तरह इसके सफे पलटते चले जाते हैं। किताब में सप्त सिन्धु, आर्य, वैदिक काल, गौतम बुद्ध, मौर्य वंश, शक, कुषाण, गुप्त वंश, हिन्दू धर्म, हर्षवर्धन, मुगल साम्राज्य, भक्ति आंदोलन,1857, गांधी युग आदि विषयों पर अध्याय हैं। इनमें सिन्धु सभ्यता, हिन्दू धर्म और आर्य संस्कृति पर पुस्तक में शोधपूर्ण नयी सूचनाएं हैं। इतिहास के पाठकों के साथ सामान्य पाठकों के लिए भी यह रूचिपूर्ण और काम की पुस्तक साबित होगी।