जैसा की आप सभी जानते ही हैं की दुनिया के अन्दर इस्लाम धर्म को लेकर एक बहुत ही खराब छवि बनती जा रही है. यह ऐसा इसलिए हो रहा है की दुनिया के अन्दर जितने भी आतंकी हमले हो रहे हैं उसके पीछे कहीं न कहीं इस्लाम के मानने वाले ही पाए जा रहे हैं. फिर वो सीरिया के अन्दर आई एस आई एस जैसे खूंखार आतंकी संगठन हो या पाकिस्तान के अन्दर लश्कर-ए-तैयेबा यह सभी आतंकी संगठन खुद को इस्लाम का अनुयायी बताते हैं. जिसके चलते इस्लाम को मानने वाले मुसलमान एक शंका की नजर से देखे जाते हैं. शायद इसी बजह से अमेरिका ने अपने देश में बाहर से आने वाले मुस्लिमो की एंट्री बैन कर रखी है.
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अभी ताजा मामला आज यूरोपियन यूनियन के टॉप कोर्ट ने फैसला दिया है कि यूरोप में कंपनियां ऐसे कर्मचारियों को अपने यहां काम करने से रोक सकती हैं जो धर्म से जुड़े किसी भी संकेत को इस तरह के पहनकर आते हैं. कहा जा रहा है की हिजाब पहनकर दफ्तर आने वाली महिला कर्मचारियों से जुड़े मामले पर कोर्ट ने यह अपना पहला फैसला दिया है दरअसल, यह फैसला फ्रांस और बेल्जियम की उन दो महिलाओं से जुड़े मामले में संयुक्त रूप से दिया गया है कि जिसमें कुछ समय पहले महिलाओं को इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपना हिजाब उतारने से इनकार कर दिया था. लेकिन अब कोर्ट ने यह तय कर दिया है की इस तरह के मामले में कंपनी खुद निर्णय ले तो उस पर कोई कानूनी केस नहीं किया जा सकेगा.
क्यूंकि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा किसी भी कंपनी का अंदरूनी नियम जो किसी भी राजनीतिक, दार्शनिक और धार्मिक संकेत को पहनने रोक लगाता है, उसे सीधा भेदभाव नहीं माना जा सकता. हालांकि यूरोपियन अदालत ने यह भी कहा कि किसी कस्टमर की इच्छा पर कंपनी ऐसे फैसले नहीं कर सकती फैसले के अनुसार अगर कंपनी किसी भी प्रकार की ऐसी चीज़ों के पहनने पर पाबंदी लगाती है तो इसे भेदभाव नहीं माना जा सकता. यानी कुल मिलाकर यह माना जा सकता है की अब दुनिया की अदालतें भी इस बात को मानने लगी हैं की चहरे ढक कर गलत मंशाओं को जायदा देर तक फलने फूलने नहीं देना चाहिए.
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