Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

सेक्स एजुकेशन इन हिंदी

सेक्स एजुकेशन इन हिंदी

सेक्स समस्या और समाधान

कई नवयुवक मानसिक रोगी होते हैं, वास्तव में उन्हें बीमारी नहीं होती है चालाक और बाजारी हकीम इनकी कमजोरी से लाभ उठाकर इनके सन्देह को बढ़ाते हैं और स्वस्थ पुरुष को रोगी बना देते हैं।

ऐसे नवयुवक अपनी अज्ञानता के कारण कभी कभी आत्महत्या कर लेते हैं। क्योंकि वे समझते हैं कि उनका जीवन अब व्यर्थ हो गया है वे अपनी पूर्ण अवस्था पर नहीं आ सकते। मगर यह उनकी भूल है ऐसे रोगियो को हम बिना दवाई दिये खुराक आदि के बारे में उचित सलाह देकर उनको ठीक कर देते हैं। चिकित्सा सम्बन्धी निःशुल्क परामर्श के लिए मिले या या फोन कर परामर्श लें। सेक्स एजुकेशन इन हिंदी

भूमिका

मैंने अपने अनुभव के द्वारा अधिकतर नवयुवकों को अज्ञानता के कारण गलत मार्ग पर निराशा के अंधकार में भटकते हुए देखा है क्योंकि यौन विषय तथा इसकी अच्छाई बुराई न तो कोई माता-पिता अपनी संतान को बताते हैं और न ही हमारे देश में अभी इस शिक्षा का प्रचार किया जाता है जिस कारण अधिकतर नवयुवक सही दिशा से भटक जाते हैं तथा कई प्रकार की यौन संबंधी स्वप्नदोष, प्रेमह, शीघ्रपतन, नपुंसकता आदि कमजोरियों के शिकार हो जाते हैं। इन रोगों से पीडि़त रोगों को घबराना नहीं चाहिए जिस प्रकार बुखार, खांसी जुकाम आदि का इलाज कराने से रोग में आराम आ जाता है उसी प्रकार अच्छी चिकित्सा से सभी यौन रोगों की शिकायत दूर होकर मनुष्य को नया स्वास्थ्य प्राप्त हो जाता है।एक सच्चे चिकित्सक के नाते नवयुवकों एवं पुरुषों के मन में बैठी हुई गलत धारणाओं को निकालकर उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ बनाने में सहयोग देना ही हमारा उद्देश्य है। हमारा हाशमी दवाखाना सन! 1929 से अपनी वैज्ञानिक सलाह एवं सफल इलाज से रोगियों को अधिक से अधिक व्यक्ति निरोग हों यही हमारी अभिलाषा है।मैंने यह लेख उन्हीं भटके हुए नौजवानों के लिए लिखा है ताकि वे इसे पढ़के अपनी असली शक्ति को पहचाने, अपने मन में बैठी हुई हीन भावना को दूर करके अपना स्वास्थ्य ठीक कर सके जिससे वे भी अपने जीवन को सुखी एवं आनन्दमय बना सके।

सफल जीवन का महत्व

पूरे संसार का चक्र स्त्री और पुरुष पर आधारित होता है। कोई भी बालक अपने बचपन की सीमा लांघकर जब व्यस्क होकर पुरुष कहलाने लगता है तो ही पुरुष की यही इच्छा होती है कि वह सुन्र स्त्री का पति बन सके और उसके साथ अपना गृहस्थ जीवन सुखमय बिताए तथा स्वस्थ व निरोग संतान उत्पन्न करके अपनी वंश बेल को आगे बढ़ाए मगर संसार में चन्द व्यक्ति ही ऐसे भाग्यशाली होते हैं जो इस गृहस्थ सुख का आनन्द उठाने में समर्थ होते हैं अन्यथा अधिकांश व्यक्ति तो बचपन की कुसंगति एवं गलतियों के कारण अपनी जवानी के दिनों में बुढ़ापे को गले लगा लेते हैं तथा जिन्दगी का असली आनन्द लिए बिना ही असमर्थ एवं निढाल हो जाते हैं।

प्रकृति ने पुरुष एवं स्त्री को एक दूसरे का पूरक एवं सहयोगी बनाया है तथा वे एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। जब दोनों मिलकर एक होते हैं तथा दोनों ही अपने जीवन का वास्तविक आनन्द उठाते हैं तभी उनका जीवन सफल कहलाता है। स्त्री पुरुष के जीवन को सफल बनाने के लिए सैक्स का बहुत योगदान है। यदि पति पत्नी का वैवाहिक जीवन पूरी तरह से सन्तुष्ट रहता है तो वे दोनों मानसिक व शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ एवं निराश रह सकते हैं। अन्यथा उनके बीच रोग, रोग कष्ट, कलह की दीवार खड़ी हो जाती है जो धीरे धीरे पति पत्नी के मधुर एवं पवित्र रिश्तों की नींव हिला देती है तथा अन्त में कई तरह के भयानक परिणाम सामने आते हैं। इन सभी बातों का कारण कई बार सैक्स अंगों के प्रति अज्ञानता होती है क्योंकि यह तो आपको मालूम ही है कि जब भी बच्चों को सैक्स के प्रति कुछ जानने की जिज्ञासा होती है अधिकांश मां बाप इस विषय को झूठ मूठ बातों से बच्चों को टाल देते हैं लेकिन बच्चों के मन में इस विषय को जानने के लिए उत्सुकता ही बनी रहती है तथा वे अपने से बड़े बच्चों एवं गली मौहल्ले के बुरी संगत वाले मित्रों आदि से सैक्स का बेतुका ज्ञान प्राप्त करके अपना कोमल मन मस्तिष्क गन्दा करके अपने जीवन को बर्बाद कर लेते हैं। ध्यान रहे, सैक्स के प्रति बच्चों को सही ज्ञान देने से इतना नुकसान नहीं होता है जितना कि इस विषय को छिपाने से होता है इसलिए मां बाप को चाहिए कि वे बच्चों के व्यस्क होने पर उन्हें इस बात के बारे में अच्छी तरह से समझाएं ताकि वे गलत रास्ते पर भटक कर अपने जीवन के साथ खिलवाड़ न कर सकें जिससे उनका जीवन हमेशा के लिए सुखमय बन सके।

यह वेबसाइट उन भटके हुए नवयुवकों के लिए लिखी गई है जो सैक्स की अज्ञानता के कारण गलत संगत एवं गलतियों के कारण स्वयं अपने ही हाथों अपने जीवन को बर्बादी के रास्ते पर डाल चुके हैं तथा सही दिशा की तलाश में नीम हकीमों एव राजा महाराजाओं वाले चकाचैंध विज्ञापनों के चुंगल में फंसकर अपने जीवन को दुखदायी बना चुके हैं। संसार में सभी व्यक्ति एवं चिकित्सक एक जैसे नहीं होते। हमारा भी यह पुस्तक लिखने का एक मात्र यही उद्देश्य है कि आप अपने सैक्स रोग एवं कमजोरी दूर करने के लिए सही चिकित्सा द्वारा अपने शरीर को स्वस्थ एवं निरोग बनाकर अपने भविष्य एवं विवाहित जीवन को मधुर एवं आनन्दमयी बना सकें|

बचपन की भूल – जवानी का खून

ईश्वर ने पुरूष को शक्तिशाली इंसान बनाकर इस संसार में इसलिए भेजा है कि वह नारी सौन्दर्य के समिश्रण से नई पौध लगाकर कुदरत का सौंपा काम पूरा कर सके दिन भर में इंसान को जो कष्ट और परेशानियां मिलती हैं वह उन सबको रात की विश्राम बेला में रति सुख के साथ भूलकर हर नई सुबह फिर से ताजा और चुस्त होकर अपना कार्य प्रारम्भ कर सके। उचित परामर्श एवं सलाह लिए बिना शादी परेशानी का कारण बन सकती है। हमारे पास रोज बहुत से पर्सनल लैटर आते हैं जिनमें बहुत से पुरुष अपनी कमजोरी एवं विवाहित जीवन की परेशानी के कारण आत्महत्या करने का जिक्र करते है। लेकिन जो आत्महत्या नहीं करते वे घर से भाग जाते हैं और उनकी पत्नियां लाज शर्म छोड़कर पराए पुरुषों का सहारा लेने पर मजबूर हो जाती हैं। यह सब इसलिए होता है कि समय पर उन्हें सही मार्ग दर्शन नहीं मिलता । स्कूलों में उन्हें यह बात तो बताई जाती है कि गन्दे नाखूनों को मुंह से नहीं काटना चाहिए क्योंकि गन्दे नाखूनों के जरिए गन्दी पेट में जाकर बीमारियां पैदा करती है लेकिन यह कोई नहीं समझता कि गन्दे विचारों से मनुष्य का शारीरिक व मानसिक रूप से कितना बड़ा नुकसान होता है जिसके कितने भयंकर परिणाम निकलते हैं। फलस्वरूप नतीजा यह होता है कि जिस अंग से मनुष्य को सबसे अधिक सुख मिलना निश्चित है उसी अंग को कच्ची अवस्था में तकिए या हाथ की रगड़ से विकृत कर दिया जाता है उसको इन्हीं साधनों द्वारा कष्ट करके अपने जीवन को मझधार में छोड़ दिया जाता है।

जीवन रत्न-वीर्य

जवानी जीने का सबसे सुहावना समय है। कई नौजवान तो सीधे ही बचपन से बुढ़ापे की तरफ चले जाते हैं, उन्हें पता ही नहीं होता कि जवानों की कीमत व जवानी का सच्चा आनन्द क्या है? अधिकतर नवयुवक गलत संगत के कारण अपने शरीर से स्वयं ही खिलवाड़ करते हैं तथा सही रास्ते से भटककर वे यौन सम्बन्धी अनेकों रोगो से घिरकर अपनी सुनहरी जिन्दगी को तबाह कर देते हैं। आजकल लगभग 75 प्रतिशत नौजवान किसी न किसी रूप से यौन रोगों से पीडि़त हैं तथा अपने जीवन के वास्तविक आनन्द से अंजान हैं। आज के नवयुवक क्षणिक आनन्द के लिए अपने ही हाथों अपनी जिन्दगी खराब करने पर तुले हुए हैं। वे इधर-उधर के गन्दे वातावरण अश्लील फिल्में व सैक्सी उपन्यास व पत्रिकाएं देखकर व पढ़कर अपने जीवन का अनमोल रत्न वीर्यद्ध बर्बाद कर देते हैं। वे इधर उधर केक गन्दे वातावरण अश्लील फिल्में व सैक्सी उपन्यास व पत्रिकाऐं देखकर व पढ़कर अपने जीवन का अनमोल रत्न वीर्यद्ध बर्बाद कर देते हैं। तथा कई प्रकार के घृणित रोगों से घिरकर अपनी जिन्दगी बर्बाद कर लेते हैं। यही शरीर की जान है जिसे व्यक्ति निकालने में आनन्द प्राप्त करता है। इसी वीर्य को अपनी शरीर में संग्रह किया जाये तो आप स्वयं ही सोचिए कितना आनन्द प्राप्त होगा। वीर्य नष्ट होने के बाद भटके हुए नवयुवक सही दिशा के आस मकें चकाचैंध वाले विज्ञापनों व प्रचार वाली फार्मेसियों एव क्लिनिकों के चक्कर में पड़कर अपना धन समय व स्वास्थ्य गवांकर अपने जीवन से निराश हो जाते हैं। वीर्य किस प्रकार से नष्ट होता है और उससे शरीर को क्या क्या हानि उठानी पड़ती है उसका विवरण आगे दिया जा रहा है उन निराश रोगियों को हम सच्चे हृदय से अपना परामर्श देंगे तथा सही दिशा का ज्ञान कराएंगे।

हस्तमैथुन

हाथ से अपने वीर्य को नष्ट करने को हस्थमैथुन कहते हैं, कुछ नवयुवक व किशोर गलत संगत में बैठकर, उत्तेजक फिल्मे देखकर या अश्लील पुस्तकें पढ़कर अपने मन को काबू में नहीं रख पाते तथा किसी एकान्त में जाकर सबसे आसान तरीका अपने ही हाथों से अपना वीर्य निकालने को अपनाते हैं उन्हें यह नहीं पता कि वे ऐसा काम करके अपनी जिन्दगी में जहर घोल रहे हैं जिसका परिणाम यह होता है कि इन्द्री निर्बल हो जाती है पतलापन, टेढ़ापन, छोटापन व नीली नसें उभरनी शुरू हो जाती हैं और अन्त में व्यक्ति नपुंसकता की ओर बढ़ जाता है। शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है।थोड़ी सी बातचीत करके दिमाग चकरा जाता है तथा चाहकर भी इस क्रिया को छोड़ नहीं पाता। हम अपने सफल इलाज से ऐसे अनगिनत नौजवानों की हस्थमैथुन की आदत छुड़ा चुके हैं जो यह कहते थे कि यह आदत छूटती नहीं है।

स्वप्नदोष

सोते समय दिन या रात कोई भी समय हो अपने मन में बुरे व गन्दे विचारों के कारण सोते समय स्वप्न में किसी सुन्दरी स्त्री को देखकर या अपनी कुसंगति का ख्याल आते ही अपने आप वीर्य निकल जाता है इसी को स्वप्नदोष कहते हैं। यदि स्वप्नदोष महीने में दो-तीन बार हो तो कोई बात नहीं किन्तु हर रोज़ या सप्ताह में दो तीन बार हो जाये तो यह रोग भी कम भयंकर नहीं है। यूं तो स्वप्नदोष प्रायः सोते हुए इन्द्री में तनाव आने के बाद ही होता है किन्तु यह रोग बढ़ जाने पर इन्द्री में बिना तनाव भी हो जाता है जो कि गंभीर स्थिति है। इस प्रकार वीर्य का नाश होना शरीर को खोखला बना देता है जिसका असर दिमाग पर पड़ता है। याद्दाश्त कमजोर हो जाती है वीर्य पतला हो जाता है। अन्त में नपुंसकता की नौबत आ जाती है लेकिन हमारे पास ऐसे नुस्खे हैं जिनके सेवन से उपरोक्त सभी विकार नष्ट होकर शरीर को शक्ति सम्पन्न बनाते हैं।

शीघ्रपतन

सम्भोग के समय तुरंत वीर्य का निकल जाना शीघ्रपतन कहलाता है। अत्यधिक स्त्री-प्रसंग, हस्तमैथुन, स्वप्नदोष, प्रमेह इत्यादि कारणों से ही यह रोग होता है। सहवास में लगभग 10-20 मिनट का समय लगता है लेकिन 3-4 मिनट से पहले ही बिना स्त्री को सन्तुष्ट किए अगर स्खलन हो जाए तो इसे शीघ्रपतन का रोग समझना चाहिए। जब यह रोग अधिकता पर होता है तो स्त्री से संभोग करने से पहले ही सम्भोग का ख्याल करने पर या कपड़े की रगड़ से ही चिपचिपी लार के रूप में वीर्यपात हो जाता है। यदि थोड़ी सी उत्तेजना आती भी है तो इन्द्री प्रवेश करते ही स्खलन हो जाता है। उस समय पुरूष को कितनी शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है तथा स्त्री से आंख मिलाने का भी साहस नहीं रहता। स्त्री शर्म व संकोच के कारण अपने पति की इस कमजोरी को किसी के सामने नहीं कहती लेकिन अन्दर ही अन्दर ऐसे कमजोर पति से घृणा करने लगती है जिस कारण उसका विवाहित जीवन दुखमय बन जाता है। मर्द की कमजोरी और शीघ्रपतन की बीमारी से औरत भी बीमार हो सकती है। ऐसे रोग का समय रहते उचित इलाज अवश्य करना लेना चाहिए ताकि रहा सहा जोश एवं स्वास्थ्य भी समाप्त न हो जाए। हमारे पास ऐसी शिकायतें दूर करने के लिए ऐसे शक्तिशाली नुस्खों वाला इलाज है जिसके सेवन से जीवन का वास्तविक आनन्द मिलता है। सम्भोग का समय बढ़ जाता है शरीर हस्टपुष्ट तथा शक्ति सम्पन्न हो जाता है। स्त्री को पूर्ण रूप से सन्तुष्टि होकर सम्भोग की चर्मसीमा प्राप्त होती है। विवाहित जीवन का वास्तविक आनन्द प्राप्त होकर उनका जीवन सुखमय बन जाता है।

नपुंसकता

युवा अवस्था में स्त्री सम्भोग या संतान पैदा करने की अयोग्यता को नपुंसकता कहते हैं। इस दशा में संभोग की कामना होते हुए भी पुरूष की इन्द्री में उत्तेजना नहीं होती इन्द्री बेजान मांग के लोथड़े की तरह गिरी रहती है। उसका आकार भी कम ज्यादा, पतला या टेढ़ा हो सकता है। नसें उभरी प्रतीत होती हैं। कामेच्छा होते हुए भी इन्द्री में तनाव नहीं आता यदि पुरूष के अपने भरसक प्रयत्न से थोड़ी बहुत उत्तेजना इन्द्री में आती भी है तो सम्भोग के समय शीघ्र ही स्खलित हो जाता है। ऐसे पुरूष को न तो स्त्री ही प्यार करती है और न ही संतान पैदा होती है। हमारे सफल नुस्खों वाले इलाज से नपुंसकता के सभी विकार ठीक हो जाते हैं तथा रोगी को फिर से पुरुषत्व व सम्भोग क्षमता प्राप्त होकर एक नई शक्ति, स्फूर्ति, उत्साह व स्वास्थ्य प्राप्त हो जाता है।

इंद्रिय-आकार के भेद

अब स्त्री और पुरूष के गुह्या स्थानो के आकार प्रकार पर विचार करेंगे। पुरूष का लिंग लंबाई से और स्त्री की योनि गहराई से नापी जाती है।संभोग का सम्बन्ध मन और काया दोनों से होता है। जहां तक मन के सम्बन्ध का ज्ञान है, इसमें स्त्री और पुरूष का पारस्परिक आकर्षण और परस्पर शरीर मिलने की प्रबल आकांक्षा है। जहां तक काया अर्थात शरीर के सम्बन्ध का प्रश्न है, इसमें पुरूष के शिश्न अर्थात लिंग और स्त्री की योनि के सम्भोग की तीव्र इच्छा है, जिसमें एक या दोनों पक्षों का विशेष विधि से निज जननेन्द्रियों का परस्पर घिसना या रगड़ना, फलस्वरूप पुरूष का वीर्यपात होना और स्त्री को एक विशेष प्रकार के सुख या आनन्द की अनुभूति होना, मैथुन कार्य में काल की अधिकता और इस कार्य की विधि ही मुख्य कारण है।

लिंग के आकार के अनुसार पुरूष के तीन भेद हैं।

1. शश (खरगोश), 2. वृष (बैल) और 3. अश्व (घोड़ा) । यदि पुरूष का शिश्न छोटा है तो वह ‘शश’, यदि मध्यम हो तो ‘वृष’ और यदि बड़ा हो तो ‘अश्व’ कहलाता है।

इसी प्रकार स्त्री के तीन भेद होते हैं।1. मृगी (हरिणी), 2. बढ़वा (घोड़ी) और 3. हस्तिनी (हथिनी)। यदि स्त्री की योनि छोटी यानी कम गहरी हो तो वह ‘मृगी’, यदि मध्यम गहरी हो तो ‘बढ़़वा’ और यदि अधिक गहरी हो तो वह ‘हस्तिनी’ कहलाती है।

लिंग की मोटाई और लम्बाई में कमी आते जाना|

उत्तेजित अवस्था में शिश्न की लम्बाई ओर मोटाई बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उत्थान केन्द्र कितना सशक्त है। जैसे ही मस्तिष्क में काम जाग्रत होता है वैसे ही सेरीब्रम (cerebrum) उत्थान केन्द्र को लिंग के स्पंजी टिशू में रक्त भेजने का आदेश भेजता है। यदि उत्थान केन्द्र सशक्त है तो वह उसी अनुपात में उतना ही अधिक रक्त लिंग में एकत्रित करने में समर्थ होता है जिसके फलस्वरूप लिंग का आकार उसी अनुपात में बड़ा हो जाता है। अगर उत्थान केन्द्र दुर्बल हो चुका है तो लिंग की लम्बाई, चैड़ाई अपेक्षाकृत कम होती है। नपुंसकता की ओर बढ़ रहे युवकों में जहां काम केन्द्र दुर्बल पड़ जाते हैं वहां उत्थान केन्द्र विशेष रूप से प्रभावित होता है और दुर्बल उत्थान केन्द्र पर्याप्त मात्रा में लिंग में रक्त एकत्रित करने में असमर्थ होने के कारण लिंग का आकर प्राकृत रूप में नहीं आ पाता है। जैसे-जैसे उत्थान केन्द्र की दुर्बलता बढ़ती जाती है वैसे-वैसे लिंग की लम्बाई्र और चैड़़



This post first appeared on Controlling High Blood Pressure | Hashmihealthcares.com | Hashmihealthcares.com, please read the originial post: here

Share the post

सेक्स एजुकेशन इन हिंदी

×

Subscribe to Controlling High Blood Pressure | Hashmihealthcares.com | Hashmihealthcares.com

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×