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Power of Black Magic Spells मंत्र शक्ति Mantra Shakti



Power of Black Magic मंत्रशक्ति  Mantra Shakti

मंत्र शक्तिPower of Spells or Mantra Shakti
एक प्रसंग है,सत्यवादी राजाहरिश्चंद्र के जीवन का, ये भगवान् रामके पूर्वज थे  - एक बार की बातहै लंकाका राजा रावण, राजा हरिश्चंद्र की मंत्र शक्ति  की बात सुन कर उससे बड़ा आकर्षित हो गया ओर उनसे कुछ सखने उनके पास गया |

तो इसिलिया रावण राजा की मंत्र शक्ति को परखने के लिया उसके महल में गया। ओर उसके दरवाजे पर जाकर द्वारपाल से बोला की, में राजा से मिलने आया हूँ | में उनकी मंत्र शक्ति का चमत्कार देखना चाहता हूँ। उनकी मंत्र शक्ति की चर्चा बहूत दूर दूर तक फैली हुई है।

द्वारपाल ने कहा की महाराज अभी अपनी मंत्र जप में व्यस्त है। आपको इंतज़ार करना परेगा। रावण ने इंतज़ार किया। कुछ समय के बाद द्वारपाल रावण को राजा के पास ले गया।

राजा ने आवभगत की ओर आसान देकर उसको बैठा दिया। रावण ने अपना मन की बात राजा को जाहीर की।

वार्तालाप चल ही रहा था, की एकाएकराजा हरिश्चंद्रका हाथतेजी सेएक ओरघुमा। पासरखे एकपात्र सेउन्होंने अक्षतके कुछदानें उठाएंऔर होठोंसे कुछअस्पष्ट साबुदबुदाते हुए बड़ी तीव्रता सेएक दिशामें फ़ेंकदिए। रावणएकदम सेहतप्रभ रहगया, उसनेपूछा -

'राजन! यहआपको क्याहो गयाथा?'

रावण ये सब देख कर बड़ा चकित हुआ। उसने कहा राजन ये क्या कर रहे थे।
राजा ने कहा 250 किलोमीटर दूर एक शेर ने एक गाय पर हमला कर दिया था। लेकिन अब गाय सुरेक्षित है।
रावण की तो मानो पैरों तले की जमीन खिसक गई, उसने सोचा की इसका तो प्रमाण लगाना परेगा की इस बात में कितनी सच्चाई है। चलते-चलते रावण जबउस स्थलपर पहुंचा, तो देखाकी रक्तरंजितएक व्याघ्रभूमि परपडा है।व्याघ्र कोअक्षत केवे दानेतीर कीभांति लगेथे, जिससेवह घायलहुआ था।राजा हरिश्चंद्रकी मंत्रशक्ति काप्रमाण रावणके सामनेथा।

आज भीमंत्रों मेंवही शक्तिहै, वहीतेजस्विता है, जो राजा हरिश्चंद्रके समयथी। आवश्यकताहै, तोमनःशक्ति कोएकाग्र करनेकी, पूर्णदृढ़ता केसाथ मंत्रोंका ह्रदयसे उच्चारणकरने की।




मन्त्र सिद्धि क्याहै ? What is Mantra Shiddhi?

मन्त्र साधना काएक विशिष्टक्रम पूराहोने परसाधक कीचेतना कासंपर्क ब्रह्माण्डकी विशिष्टधारा यादेव शक्ति
Power of Spells
से होजाता है. साधक केकई अतीन्द्रियकेंद्र जागृतहो जातेहै, औरवह मन्त्रके देवशक्तियोंके सूक्ष्मविशिष्ट धाराको ग्रहणकरने धारणकरने औरउनका नियोजनकरने मेंपूर्णतः समर्थहोता है. देवशक्ति के ऊर्जा शक्ति कोअपने व्यक्तित्वऔर अस्तित्वमें धारणकरना हीमन्त्र सिद्धिकहलाता है. To getting the powers of Mantras God and absorb mantras God power in our body is called Mantra Siddhi.


मंत्र-सिद्धि: Mantra Siddhi

जब मंत्र ,साधकके भ्रूमध्यया आज्ञा-चक्र मेंअग्नि - अक्षरोंमें लिखादिखाई दे, तो मंत्र-सिद्ध हुआसमझाना चाहिए.
जब बिना जापकिये साधकको लगेकी मंत्र-जाप अनवरतउसके अन्दरस्वतः चलरहा हैंतो मंत्रकी सिद्धिहोनी अभिष्टहैं.
साधक सदेव अपनेइष्ट -देवकी उपस्थितिअनुभव करेऔर उनकेदिव्य - गुणोंसे अपनेको भरासमझे तोमंत्र-सिद्धहुआ जाने.
शुद्धता ,पवित्रता औरचेतना काउर्ध्गमन काअनुभव करे,तो मंत्र-सिद्ध हुआजानें .
मंत्र सिद्धि केपश्च्यात साधककी शारीरिक,मानसिक औरअध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति होनेंलग जातीहैं.

Finally When Sadhak or Worshipper feels that the mantra chanting cycle is automatically start in endless way then it will Called Mantra Siddhi.


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