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जैन तीर्थंकर भगवान पुष्पदंत जी Jain Tirthankar Pushpadant ji




नौवें तीर्थंकर पुष्पदन्त जी हैं। भगवान पुष्पदन्त जी का जन्म काकांदी नगर में कृष्ण पक्ष की पंचमी को मूल नक्षत्र में हुआ था। पुष्पदंत जी एक युवा तीर्थंकर थे।
इक्ष्वाकु वंश के राजा सुग्रीव और रामा देवी के घर जन्मे पुष्पदंत जी के जन्म का नाम ‘सुवधि’ ही रखा था, इसलिए भगवान पुष्पदन्त को ‘सुवधिनाथ’ भी कहा जाता है। पुष्पदन्त जी के शरीर का वर्ण श्वेत (सफ़ेद) और इनका चिह्न मकर (मगर) था। एक सामान्य राजा का जीवन बिताने के बाद तीर्थंकर पुष्पदन्त जी ने आत्मकल्याण के पथ पर जाने का निश्चय किया।
वर्षीदान द्वारा जनता की सेवा कर, मार्गशीर्ष कृष्णा षष्ठी के दिन भगवान ने दीक्षा स्वीकार की। चार माह की साधना कर कैवल्य पद प्राप्त कर प्रभु पुष्पदंत जी ने धर्मतीर्थ की स्थापना की। भाद्र शुक्ल पक्ष नवमी को पुष्पदंत जी ने साधना अवस्था में शेष अघाती कर्मों को नष्ट कर सम्मेद शिखर पर निर्वाण पद प्राप्त किया।


HeavenAnatadevaloka
BirthplaceKanandinagari
Diksha PlaceSamed Shikharji
Father’s NameSugrivaraja
Mother’s NameRamarani
Complexionwhite
Symbolcrab
Height100 dhanusha
Age200,000 purva
Tree Diksha or Vat VrikshSali
Attendant spirits/ YakshaAjita and Sutaraka
YakshiniMahakali
First AryaVarahaka
First AryikaVaruni


            10 शीतलनाथ जी>

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