नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए नमो नमो दुर्गे सुख करनी PDF | Namo Namo Durge Sukh Karni Lyrics in Hindi PDF प्रदान करने जा रहे हैं। नमो नमो दुर्गे सुख करनी एक अत्यंत ही मधुर, सुंदर एवं चमत्कारी चालीसा है। यह दिव्य चालीसा दुर्गा माता को समर्पित है। इसीलिए इस चालीसा दुर्गा चालीसा के नाम से सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
इस चालीसा का पाठ करने से माता दुर्गा जी की कृपा प्राप्त होती है। इस चालीसा का सर्वाधिक जाप नवरात्रि के पर्व में माता दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। लेकिन दुर्गा जी के अनेकों ऐसे भक्त हैं जो प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक इस चालीसा का पाठ करते हैं। माता दुर्गा सनातन हिन्दू धर्म में सबसे अधिक पूजे जाने वाली देवियों में से एक हैं।
ऐसा माना जाता है कि जो लोग बहुत समय से किसी भी प्रकार के रोग, शोक एवं दुख-दर्द से परेशान हैं वह इस चालीसा का पाठ करें तो अत्यंत लाभ प्राप्त होगा। इस चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में सुख,शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि आप भी अपने जावन में माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो नमो नमो दुर्गे सुख करनी (दुर्गा चालीसा) का पाठ हृदयपूर्वक अवश्य करें।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी PDF / Namo Namo Durge Sukh Karni Lyrics in Hindi PDF
नमो नमो दुर्गे सुख करनी,
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी,
तिहूँ लोक फैली उजियारी।
शशि ललाट मुख महाविशाला,
नेत्र लाल भृकुटि विकराला।
रूप मातु को अधिक सुहावे,
दरश करत जन अति सुख पावे।
तुम संसार शक्ति लै कीना,
पालन हेतु अन्न धन दीना।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला,
तुम ही आदि सुन्दरी बाला।
प्रलयकाल सब नाशन हारी,
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें,
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें।
रूप सरस्वती को तुम धारा,
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा,
परगट भई फाड़कर खम्बा।
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो,
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं,
श्री नारायण अंग समाहीं।
क्षीरसिन्धु में करत विलासा,
दयासिन्धु दीजै मन आसा।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी,
महिमा अमित न जात बखानी।
मातंगी अरु धूमावति माता,
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता।
श्री भैरव तारा जग तारिणी,
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।
केहरि वाहन सोह भवानी,
लांगुर वीर चलत अगवानी।
कर में खप्पर खड्ग विराजै,
जाको देख काल डर भाजै।
सोहै अस्त्र और त्रिशूला,
जाते उठत शत्रु हिय शूला।
नगरकोट में तुम्हीं विराजत,
तिहुँलोक में डंका बाजत।
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे,
रक्तबीज शंखन संहारे।
महिषासुर नृप अति अभिमानी,
जेहि अघ भार मही अकुलानी।
रूप कराल कालिका धारा,
सेन सहित तुम तिहि संहारा ।
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब,
भई सहाय मातु तुम तब तब ।
अमरपुरी अरु बासव लोका,
तब महिमा सब रहें अशोका।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी,
तुम्हें सदा पूजें नरनारी।
प्रेम भक्ति से जो यश गावें,
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें।
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई,
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी,
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी।
शंकर आचारज तप कीनो,
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो।
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को,
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।
शक्ति रूप का मरम न पायो,
शक्ति गई तब मन पछितायो।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी,
जय जय जय जगदम्ब भवानी।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा,
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा।
मोको मातु कष्ट अति घेरो,
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो।
आशा तृष्णा निपट सतावें,
मोह मदादिक सब बिनशावें।
शत्रु नाश कीजै महारानी,
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी।
करो कृपा हे मातु दयाला,
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ,
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ।
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै,
सब सुख भोग परमपद पावै।
देवीदास शरण निज जानी,
कहु कृपा जगदम्ब भवानी।
।। दोहा ।।
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक,
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक।
।। इति श्री दुर्गा चालीसा ।।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी पाठ के लाभ
- इस चालीसा का मन, कर्म, वचन से सुद्ध होकर पाठ करने से मनचाहे वरदान की प्राप्ति होती है।
- जो भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में उन्नति प्राप्त करना चाहता है तो इस चालीसा के पाठ से अत्यंत लाभ होगा।
- अगर आप इस चालीसा का पाठ प्रतिदिन श्रद्धा से करते हैं तो माँ दुर्गा शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं।
- हर परेशानी से मुक्त होने के लिए आपको नमो नमो दुर्गे सुख करनी (चालीसा) का पाठ करना चाहिए।
- जो भी जातक बहुत समय से आर्थिक समस्या से ग्रसित हैं तो इस चालीसा का पाठ करने इस समस्या का निवारण हो जाता है।
- इस चालीसा का पाठ करने से मानसिक एवं शारीरिक शांति का अनुभव होता है।
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