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Ardhanarishwara Stotram

Dear readers, here we are offering Ardhanarishwara Stotram PDF to all of you. Ardhanarishwara Stotram is a very vital ancient Vedic scripture dedicated to Lord Ardhanarishwara. Lord Ardhanarishwara is one of the forms of Lord Shiva and Goddess Parvati.

If you are facing hurdles in your day-to-day life due to your enemies then you should recite Ardhanarishwara Stotram to overcome these types of difficulties. Ardhanarishwara form of Lord Shiva represents the power and importance of women in the universe.

Ardhanarishwara Stotram Lyrics in Sanskrit PDF

चाम्पेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।

धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ १ ॥

कस्तूरिकाकुङ्कुमचर्चितायै चितारजःपुञ्जविचर्चिताय ।

कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ २ ॥

झणत्क्वणत्कङ्कणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय ।

हेमाङ्गदायै भुजगाङ्गदाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ३ ॥

विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपङ्केरुहलोचनाय ।

समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ४ ॥

मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालाङ्कितकन्धराय ।

दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ५ ॥

अम्भोधरश्यामलकुन्तलायै तडित्प्रभाताम्रजटाधराय ।

निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ६ ॥

प्रपञ्चसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय ।

जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ७ ॥

प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।

शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ८ ॥

एतत्पठेदष्ठकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।

प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात्सदा तस्य समस्तसिद्धिः ॥ ९ ॥

इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य

श्रीमच्छंकरभगवतः कृतौ अर्धनारीश्वरस्तोत्रम् संपूर्णम् ॥

Ardhanarishwara Aarti Lyrics in PDF

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

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