नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से नरक चतुर्दशी की कथा / Narak Chaturdashi Story Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान् श्री कृष्ण जी ने एक नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। नरकासुर का वध होने के कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।
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नरक चतुर्दशी के दिन यम देव के नाम से भी दीप प्रज्वलित किया जाता है। माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव के नाम से दीप प्रज्वलित करने वाले व्यक्ति को यमलोक की यातनाएं नहीं शनि पड़ती हैं तथा मृत्यु पश्चात होने वाले कष्टों से भी वह व्यक्ति बच जाता है। आप भी इस दिन एक दीपक यम देवता की नाम से अवश्य लगाएं।
नरक चतुर्दशी की पूरी कहानी | Narak Chaturdashi Katha PDF
एक समय भगवान कृष्ण अपनी आठों पत्नियों के साथ द्वारिका में सुखी जीवन जी रहे थे. उसी समय प्रागज्योतिषपुर नामक राज्य का राजा एक दैत्य नरकासुर था. उसने अपनी दैत्य शक्तियों से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया था और साधुओं और औरतों पर अत्याचार करने लगा था. एक दिन स्वर्गलोक के राजा देव इंद्र कृष्ण के पास पहुंचे और बताया कि नरकासुर ने तीनों लोकों को अपने अधिकार में कर लिया है और वरुण का छत्र, अदिति के कुंडल और देवताओं की मणि छीन ली है. यही नहीं, वह सुंदर कन्याओं का हरण कर उनके साथ अत्याचार कर रहा है और उसके अत्याचार की वजह से देवतागण, मनुष्य और ऋषि-मुनि त्राहि-त्राहि कर रहे हैं.
देवराज इंद्र ने कृष्ण से प्रार्थना की और उनसे रक्षा करने की मदद मांगी. भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव की प्रार्थना स्वीकार कर ली. लेकिन नरकासुर को वरदान था कि वह किसी स्त्री के हाथों से ही मारा जाएगा. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा से सहयोग मांगा और अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर के 6 पुत्रों- ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार किया. मुर दैत्य का वध हो जाने का समाचार पाते ही नरकासुर अपने अनेक सेनापतियों और दैत्यों की सेना के साथ भगवान कृष्ण से युद्ध के लिए चला. लेकिन नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया. जिस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी. तब से इस दिन को नरकचतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है और जश्न में दीप जलाकर उत्सव मनाया जाता है.
नरक चतुर्दशी का महत्व | Narak Chaturdashi Ka Mahatva
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नरक की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए प्रात:काल तेल लगाकर अपामार्ग के पौधे सहित जल से स्नान किया जाता है। सायंकाल में यमराज की प्रसन्नता के लिए दीपदान किया जाता है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस कारण भी इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है।
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