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मूर्ख सियार और चतुर खरगोश (The Foolish Jackal and the Clever Rabbit)

एक घने जंगल में, सभी पशुओं में दहशत फैली हुई थी। सिंह, जंगल का राजा, बूढ़ा हो गया था और अब शिकार करने में असमर्थ था। उसने अपने दरबार के सियार को, जिसका नाम दमनक था, एक बुरी दावत का न्योता दिया।

सिंह ने कहा, “दमनक, तुम मेरे लिए जानवरों को एक-एक करके लाओगे, और मैं उन्हें खाऊंगा। इससे मुझे शिकार की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी और तुम्हें मेरे दरबार में उच्च स्थान मिलेगा।” डर के मारे दमनक ने हां कर दी।

रोज दमनक एक जानवर को सिंह के पास ले जाता, और सिंह उसे खा जाता। जंगल के जानवर इस से बेहद डरे और परेशान हो गए। फिर एक दिन खरगोशों की बारी आई, और एक बुद्धिमान खरगोश को दमनक ने चुना। उस चतुर खरगोश का नाम था चंदर।

चंदर ने दमनक से कहा, “मैं तुम्हारे साथ आने को तैयार हूँ, लेकिन मुझे कुछ वक्त चाहिए।” चंदर ने एक योजना बनाई। उसने दमनक को कई घंटे इंतजार कराया और जब वे सिंह के पास पहुंचे, तो दिन का अधिकांश हिस्सा निकल चुका था।

सिंह जब खरगोश को देर से आया देखकर क्रोधित हुआ, तो चंदर ने कहा, “महाराज, मैं तो जल्दी चला था लेकिन रास्ते में एक और बड़े सिंह ने मुझे रोक लिया, जो कहता था वही जंगल का असली राजा है और उसने कहा कि वह आपको चुनौती देगा।”

सिंह रोष में आ गया और उसने चंदर से उस सिंह को लाने को कहा। खरगोश ने सिंह को एक गहरे कुएं तक ले जाया और उसमें झांकने को कहा। सिंह ने जब कुएं में देखा, तो उसने अपना प्रतिबिंब देखा और सोचा कि यह एक राजा को चुनौती देने वाला सिंह है। सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर हमला करने के लिए कूद पड़ा और कुएँ में गिरकर मर गया।

चंदर खरगोश ने जंगल के सभी जानवरों को बताया कि अब वे सभी सुरक्षित हैं। जानवर चंदर के बुद्धिमत्ता और साहस की प्रशंसा करते रहे।

इस कहानी से मिलने वाली सीख यह है कि साहस और बुद्धि किसी भी बलवान और ताकतवर दुश्मन पर विजय पा सकते हैं।



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