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अपनी तुलना दूसरो से न करे | Moral Story

एक समय की बात है किसी एक जंगल में एक कौवा रहता था जो अपनी जिंदगी से बहुत ख़ुश था और उसे अपनी जिंदगी से कोई सिकायत नहीं थी, वो बहुत संतुष्ट था।

एक दिन वो कहीं घूमने जा रहा था और अचानक उसकी नजर एक हंस पर पड़ी और सोचने लगा कि यार ये तो कितना गोरा और सुंदर है, इसकी जीवन मे तो जल्से ही जल्से होगे, ये तो अपनी जिंदगी से बहुत ख़ुश होगा।

हंस के बारे में ये राय बनाकर कौवा हंस के पास पहुँच गया और उससे पूछने लगा कि भाई तु तो अपनी जिंदगी मे बहुत ख़ुश होगा, भगवान ने तुझे कितना गोरा और सुंदर बनाकर भेजा है।

हंस कौवे की तरफ देखकर बोला कि हाँ आपने सही कहा मैं बहुत खुश था लेकिन जब तक मैंने उस तोते को नहीं देखा था, क्या सुंदरता पायी है उसने यार, गले पर लाल रंग की पट्‌टी, पूरा शरीर पर हरा हरा रंग, काश मैं उस तोते जैसा होता तो कितना अच्छा होता।

कौवा आश्चर्यचकित रह गया हंस के मुँह से तोते के सुंदरता की बड़ाई सुनकर, और उसने सोचा की इस तोते से तो मुझे मिलना ही पड़ेगा, मैं भी तो देखूं की कोन है ये जिसकी ये इतनी बड़ाई कर रहा है।

और कौवा तोते के पास पहुँच गया और उसके सुंदरता को देखकर कौवा चकाचौंध रह गया और तोते से बोला भाई क्या जिंदगी पायी है तूने यार, भगवान ने कितना सुंदर बनाया है तुझे, तु तो अपनी life में बहुत ख़ुश होगा।

तोता बोला भाई या तो तु पागल है या फिर मेरा मजाक उड़ा रहा है, अगर तुझे किसी के सुंदरता की बड़ाई करनी है तो उस मोर की कर जिसकी सुंदरता मुझसे अभी भुलाई नहीं जा रही जबसे मैंने उसे देखा है। सायद ही उसके जैसा सुंदर जीव धरती पर कहीं होगा। काश मैं उसके जैसा होता।

कौवा वहाँ से भी चल दिया और मोर को ढूँढने लगा पूरे दिन इधर-उधर ढूँढने के बाद वो एक चिड़ियाघर जा पहुँचा जहाँ पर उसने देखा मोर एक पिंजड़े मे बंद है और दूर-दूर से लोग उसे देखने के लिये आये हुए है और सब उसके साथ फोटो खिंचवा रहे हैं।

शाम को वहाँ से सबके जाने के बाद कौवा मोर के पास गया और उसके सुंदरता और उसके life की बड़ाई करने लगा कि तेरी क़िस्मत कितनी अच्छी है तुझे सब पसंद करते है तेरे साथ सब फोटो खिंच्वाते है, तु तो अपनी life से बहुत खुश होगा।

मोर कौवा से बोला भाई इसमें तुझे मेरी खुशी कहाँ दिख रही है पिंजड़े के अंदर, life तो तेरी अच्छी है, तेरा जहां मन कहे वहाँ जा सकता, जो मन कहे वो खा सकता है, पर मैं तो न कहीं जा सकता हूँ न कुछ अपने मन का खा सकता हूँ, पूरे दिन इसी पिंजड़े में कैद रहता हूँ।

मोर की बात सुनकर कौवे को समझ आ गयी की इस दुनिया में दूसरो से खुद की तुलना कर-कर के कोई भी खुश नहीं है। और कौवा वहाँ से चला गया और फिर उसने कभी भी किसी से भी अपनी तुलना नहीं की और खु़शी से रहने लगा।

सीख:

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमें अपनी तुलना किसी दूसरे इंसान से नहीं करनी चाहिये, और अगर हम ऐसा करते है तो न ही हम अपनी life में कभी ख़ुश रह पायेगे और न ही अपने अंदर के talent और passion को पहचान पायेगे।

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