india |
Table of Contents
|
Assam Flood: असम में बारिश के बाद बाढ़ से हाहाकार, 20 जिलों में 2 लाख लोग प्रभावित Tuesday 17 May 2022 12:42 AM UTC+00 | Tags: india Assam Flood: उत्तर भारत में लगातार बढ़ रही गर्मी के बीच असम में लगातार हो रही बारिश से बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गई है. जिस कारण असम के 20 जिलों में लगभग 2 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. सोमवार को आए एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि पहाड़ी क्षेत्र दीमा हसाओ जिले में भूस्खलन ने रेल और सड़क लिंक के टूट जाने से बाकी राज्य से उसका कनेक्शन टूट गया था. आदिकारिक बयान बताया गया है कि असम के कछार जिले में बाढ़ से दो मौतें हुई हैं, वहीं दीमा हसाओ में भूस्खलन के कारण तीन मौतें दर्ज की गई हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के बुलेटिन में बताया गया है कि बाढ़ से लगभग 1,97,248 लोग प्रभावित हुए हैं, जिसमें होजई और कछार क्रमश: 78,157 और 51,357 लोग प्रभावित हुए हैं. बुलेटिन में बताया गया है कि 20 जिलों के 46 राजस्व मंडल के कुल 652 गांव अबतक बारिश से आई बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इसके साथ ही जानकारी दी गई है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाले जा रहे लोगों को सात जिलों में बनाए गए करीब 55 राहत शिविर में रखा जा रहा है. जानकारी के अनुसार अभी तक कुल 32,959 लोगों को आश्रय दिया गया है. वहीं प्रभावित क्षेत्रों में 12 राहत वितरण केंद्र भी बनाए गए हैं. असम में बारिश के बाद आई बाढ़ के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), अग्निशमन और आपात सेवाएं स्थानीय लोगों के अलावा बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान चला रहे हैं. बुलेटिन के अनुसार बताया जा रहा है कि पिछले 24 घंटों में कई जिलों में 16 स्थानों पर तटबंध टूट गए हैं. जिसके कारण कई इलाकों में सड़कें, पुल और घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. फिलहाल बाढ़ के कारण दीमा हसाओ में कम्युनिकेशन चैनल को बंद कर दिया गया है. बुलेटिन में बताया जा रहा है, "भूस्खलन के कारण, जिले के बाहर से संपर्क नहीं किया जा सकता है. हाफलोंग की ओर जाने वाली सभी सड़कें और रेलवे 15 मई से अवरुद्ध हैं." इसी बीच गुवाहाटी में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) की विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि पिछले दो दिनों से दीमा हसाओ में लुमडिंग-बदरपुर खंड पर भूस्खलन और पटरियों पर जलभराव के कारण फंसे दो ट्रेनों के लगभग 2,800 यात्रियों को निकालने का काम सोमवार को पूरा हो गया. इसे भी पढ़ेंः Afghan Resistance Attack Taliban: पंजशीर में NRF और तालिबान बीच छिड़ी जंग, दोनों तरफ के हैं ये दावे Tags:
|
Gyanvapi Masjid: वजू खाना बंद कराए जाने पर नाराज मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, कहा- 'सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की साजिश' Tuesday 17 May 2022 12:48 AM UTC+00 | Tags: india Gyanvapi Masjid: भारत में मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में कथित रूप से शिवलिंग मिलने के बाद अदालत के आदेश पर मस्जिद का वजू खाना बंद कराए जाने को नाइंसाफी करार देते हुए कहा कि यह पूरा घटनाक्रम सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की एक साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है. बोर्ड के महासचिव खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने सोमवार देर रात जारी एक बयान में कहा, "ज्ञानवापी मस्जिद, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी. इसको मंदिर करार देने की कोशिश सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की एक साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है. यह संवैधानिक अधिकारों और कानून के खिलाफ है. साल 1937 में दीन मोहम्मद बनाम स्टेट सेक्रेटरी मुकदमे में अदालत ने जबानी गवाही और दस्तावेजों के आधार पर यह बात तय कर दी थी कि यह पूरा अहाता (ज्ञानवापी मस्जिद परिसर) मुस्लिम वक्फ की मिल्कियत है और मुसलमानों को इसमें नमाज पढ़ने का हक है. अदालत ने यह भी तय कर दिया था कि कितना हिस्सा मस्जिद है और कितना हिस्सा मंदिर है. उसी वक्त वजू खाने को मस्जिद की मिल्कियत स्वीकार किया गया था. फिर 1991 में प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट संसद से पारित हुआ जिसका खुलासा यह है कि 1947 में जो इबादतगाहें जिस तरह थीं उनको उसी हालत पर कायम रखा जाएगा. साल 2019 में बाबरी मस्जिद मुकदमे के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत साफ तौर पर कहा था कि अब तमाम इबादतगाहें इस कानून के मातहत होंगी और यह कानून दस्तूर हिंद की बुनियाद के मुताबिक है." "ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अन्याय का मुकाबला करेगा" उन्होंने वाराणसी की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा, "कानून का तकाजा यह था कि मस्जिद में मंदिर होने के दावे को अदालत फौरन खारिज कर देती लेकिन अफसोस, कि बनारस की सिविल अदालत ने इस स्थान के सर्वे और वीडियोग्राफी का हुक्म जारी कर दिया. वक्फ बोर्ड इस सिलसिले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है और वहां यह मुकदमा विचाराधीन है. इसी तरह ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी भी सिविल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. वहां भी यह मसला सुनवाई के दौर में है लेकिन इन तमाम बातों को नजरअंदाज करते हुए सिविल अदालत ने पहले तो सर्वे का हुक्म जारी कर दिया और फिर उसकी रिपोर्ट कुबूल करते हुए वजू खाने के हिस्से को बंद करने का हुक्म जारी कर दिया." उन्होंने कहा, "यह आदेश ज्यादती है और कानून का उल्लंघन भी है जिसकी एक अदालत से हरगिज़ उम्मीद नहीं की जा सकती. अदालत के इस अमल ने इंसाफ के तकाजों को घायल कर दिया है, इसलिए सरकार को चाहिए कि फौरी तौर पर इस फैसले पर अमल को रोके, इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करे और 1991 के कानून के मुताबिक तमाम मजहबी स्थलों का संरक्षण करे." रहमानी ने मस्जिद के अंदर मंदिर होने |