बंजर से अरमान हमारे,
और मीलों दूर समंदर है..
कैसे बताऊं अल्फाज़ नहीं है,
राज दफ़न जो अंदर है..
शीशे सा सब साफ है अब तो,
देखो कैसा मंज़र है..
मर्रहम कीसी के पास नहीं,
पर सबके पास खंजर है..
Uploaded by : Monika choudhary
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