पितृपक्ष का समापन मंगलवार को रहा है. इसके ठीक दूसरे दिन कलश स्थापना होती थी. 11 साल बाद ऐसा संयोग आया है जब एक दिन बाद कलश स्थापना होनी है. 21 तारीख को कलश स्थापना है. दुर्गापूजा को हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में एक माना गया है. बंगाली समुदाय को लोग इसे महालया भी कहते हैं. महालया विशेष दिन है. इसी दिन सर्वपितरों का तर्पण कर पितृपक्ष का समापन होता है और प्रारंभ होता है देवीपक्ष.
Related Articles
महालया शुरू होने के पहले महिषासुरमर्दिनी का अवतरण होता है. आकाशवाणी से आज भी सुबह 4.10 बजे महिषासुरमर्दिनी का आवृत्ति पाठ गूंजता है. इसका पहला प्रसारण 23 अगस्त 1927 में हुआ. उस समय इसका नाम वसंतेश्वरी था. तब रिकॉर्ड की हुई आवृत्ति का प्रसारण नहीं होता था. 1975 तक सीधा प्रसारण ही चलता रहा.
इसके बाद इसकी रिकॉर्डिंग प्रसारित होने लगी, जो आज भी होती है. महालया का उद्देश्य विश्वमैत्री की भावना है. इस दिन सारे जगत की आत्माएं हमारे यहां आती हैं, और हम उन्हें जल देकर तृप्त करते हैं. पहले दुर्गा पूजा और उससे भी पहले शाकंभरी पूजा और चंडी पूजा होती थी. आर्यों के आगमन से पहले इसकी शुरुआत हो गई थी. अब इसमें उत्सव का पक्ष जुड़ गया है, इसलिए दुर्गोत्सव कहा जाता है.
मां दुर्गा के दस रूपों की होती है पूजा
नवरात्र का अर्थ है ‘नौ रातों का समूह’ इसमें हर एक दिन दुर्गा मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. नवरात्रि हर वर्ष प्रमुख रूप से दो बार मनाई जाती है. लेकिन शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि हिंदू वर्ष में 4 बार आती है. चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ हिंदू कैलेंडर के अनुसार इन महीनों के शुक्ल पक्ष में आती है.
आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाले नवरात्रों को दुर्गा पूजा नाम से और शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि 21 सितंबर से शुरू होकर 29 सितंबर तक रहेगी.
दस दिनों तक होनी है पूजा
21 सितंबर 2017: मां शैलपुत्री की पूजा 22 सितंबर 2017: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 23 सितंबर 2017: मां चन्द्रघंटा की पूजा 24 सितंबर 2017: मां कूष्मांडा की पूजा 25 सितंबर 2017: मां स्कंदमाता की पूजा 26 सितंबर 2017: मां कात्यायनी की पूजा 27 सितंबर 2017: मां कालरात्रि की पूजा 28 सितंबर 2017: मां महागौरी की पूजा 29 सितंबर 2017: मां सिद्धदात्री की पूजा 30 सितंबर 2017: दशमी तिथि, दशहरा
शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा की आराधना महिलाओं के अदम्य साहस, धैर्य और स्वयंसिद्धा व्यक्तित्व को समर्पित है. शक्ति की पूजा करनेवाला समाज में महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किसी विडंबना से कम नहीं. हर महिला एक दुर्गा है. उसमें वही त्याग, करुणा, साहस, धैर्य और विषय परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने की ताकत है. वह न सिर्फ स्वावलंबी है, बल्कि परिवार और समाज को भी संवारती है.
The post 11 साल में पहली बार यह संयोग बना है जब पितृपक्ष के अगले ही दिन कलश स्थापना हो रही है appeared first on Tempestnews.