रिश्ते जिंदगी है या जिंदगी से रिश्ते, | ||
जिंदगी बीत गयी बनते बिगड़ते, | ||
रिश्तों की जिंदगी और जिंदगी के रिश्ते। | ||
मन की डोर से बंधे, | ||
सहलाते, बहलाते,लुभाते, मन के रिश्ते, | ||
प्यार से झुकते,प्यार के लिए झुकते, | ||
मन से जुड़े, मन तक जुड़े, | ||
रुलाते, हँसाते, जिंदगी के रिश्ते। | ||
जाने-पहचाने, फिर भी अनजाने, | ||
मन से बांधे, फिर भी मन से बेगाने, | ||
क्यूँ ये होते हैं, मन के दीवाने, | ||
रिश्तों से पहचान, पहचान से रिश्ते, | ||
अनजाने-पहचाने जिंदगी के रिश्ते। | ||
मुश्किल से जुड़ते,पल में टूट जाते, | ||
सिमटते, बिखरते, बनते, संवरते, | ||
यादों में बसते, खुद याद बन जाते, | ||
यादों से निकल सामने आ जाते, | ||
भूले भटके, जिंदगी के रिश्ते। | ||
होठों की मुस्कान, जीने का अरमान, | ||
खुद से खुद की पहचान कराते ये रिश्ते, | ||
आँखों के आँसू, साँसो की डोर, | ||
सीने में काँच जैसे चुभते ये रिश्ते, | ||
कोमल नाजुक कुछ कठोर ये रिश्ते। | ||
शब्द बनकर कागज पर उतरते, | ||
गीत बनकर होठों पर सजते, | ||
भाव बनकर गीत बन जाते, | ||
अहसास बनकर गजल बन जाते, | ||
‘लेखनी’ की स्याही में सिमटते ये रिश्ते। | ||