धनतेरस का महत्व और कथा Dhanteras Mahatva and Katha Puja in Hindi
Dhanteras Katha, Puja Vidhi in Hindi: धनतेरस हिन्दु धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। धनतेरस कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानि की कृष्णा पक्ष के तेरहवां दिन को मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली के दो पहले ही मनाया जाता है। धनतेरस से ही दिवाली की शुरुआत हो जाती है। इससे पहले कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी के दिन करवा चौथ मनाया जाता है।
Related Articles
धनतेरस कब है, और शुभ मुहूर्त (Dhanteras Kab Hai 2017)
इस साल 2017 में धनतेरस (Dhanteras 2017) का पर्व 17 october दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
लक्ष्मी-कुबेर पूजा मुहूर्त (Dhanteras Puja Muhurat): शाम 07:19 से लेकर रात को 08:17 तक पूजा कर सकते है।
प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 05:45 से लेकर रात्रि 08:17 तक है।
धनतेरस का मतलब
धन का मतलब पैसा और दौलत होता है और तेरस का मतलब कार्तिक के कृष्णा पक्ष का तेरहवां दिन होता है इसलिए इसको धनतेरस कहा जाता है।
हिन्दू धर्म में धनतेरस को एक सुख-समृद्धि, यश और वैभव के त्योहार के रूप में मानते है। इस दिन हमलोग धन के देवता कहे जाने वाले भगवान् कुबेर और आयुर्वेद पद्धति को जन्म देने वाले भगवान् धन्वंतरि की पूजा करते है जिसका बहुत बड़ा महत्त्व है।
Also Read: अनंत चतुर्दशी व्रत कथा और पूजा विधि
हिन्दू पंचांग में बताया गया है की कार्तिक महीने की तीज तिथि को यह पर्व मनाए जायेगा। स्कन्द पुराण में इस महापर्व के बारे में उल्लेख किया गया है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य भगवान् धन्वंतरि अमृत कलश के साथ सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस (Dhanteras) के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है। धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।
धनतेरस कथा (Dhanteras Katha in Hindi)
हिन्दू ग्रंथो के अनुसार कहा (Dhanteras Story in Hindi) जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले का महा पर्व धनतेरस पर सायंकाल को यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। ऐसा मन गया है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ और सुखी रहता है। इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi in Hindi)
स्कंद महापुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी को प्रदोषकाल में अपने घर के दरवाजे के बाहर यमराज के लिए दिया(दीप) जलाकर रखने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। धनतेरस के दिन विधि पूर्वक से देवी लक्ष्मी और धन के देव कुबेर की पूजा विधि पूर्वक (Dhanteras Puja Vidhi) किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में माँ लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करने से लक्ष्मी जी घर में ही ठहर जाती हैं।
धनतेरस मंत्र (Dhanteras Mantra Hindi)
दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए:
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥
इस मंत्र का अर्थ है:
त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस पूजा / पूजन सामग्री Dhanteras Pujan Sanagri in Hindi
21 पूरे कमल बीज
मणि पत्थर के 5 प्रकार
5 पूरी सुपारी (रजत लक्ष्मी – गणेश के सिक्कों की एक संख्या (10 ग्राम या अधिक) अगरबत्ती, चूड़ी, तुलसी पत्र, पान, चंदन, लौंग, नारियल, सिक्के, काजल, दहीशरीफा. धूप, फूल , चावल , रोली, गंगा जल ( पवित्र जल ), माला, हल्दी, हनी, कपूर इत्यादि
धनतेरस पूजा विधि Dhanteras Puja Kaise Kare, Dhanteras Puja Vidhi in Hindi
- एक लकड़ी के बेंच पर रोली के माध्यम से स्वस्तिक का निशान बनाये।
- फिर एक मिटटी के दिए को उस बेंच पर रख कर जलाएं।
- दिए के आस पास तीन बारी गंगा जल का छिडकाव करें।
- दिए पर रोली का तिलक लगायें। उसके बाद तिलक पर चावल रखें।
- दिए पर थोड़े फूल चढायें।
- दिए में थोड़ी चीनी डालें।
- इसके बाद 1 रुपये का सिक्का दिए में डालें।
- परिवार के सदस्यों को तिलक लगायें।
- दिए को प्रणाम करें।
- अब दिए को अपने घर के गेट के पास रखें। उसे दाहिने तरह रखें और यह सुनिश्चित करें की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो।
- इसके बाद यम देव के लिए मिटटी का दिया जलायें और फिर धन्वान्तारी पूजा घर में करें।
- अपने पूजा घर में भेठ कर धन्वान्तारी मंत्र का 108 बार जाप करें। “ॐ धन धनवंतारये नमः
- जब आप 108 बारी मंत्र का जाप कर चुके होंगे तब इन पंक्तियों का उच्चारण करें “है धन्वान्तारी देवता में इन पंक्तियों का उच्चारण अपने चरणों में अर्पण करता हूँ।
- धन्वान्तारी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करना अनिवार्य है।
- भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिटटी के दियें जलाएं। धुप जलाकर उनकी पूजा करें। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढायें और मिठाई का भोग लगायें।
धनतेरस के दिन ये वस्तुये जरुर ख़रीदे (Dhanteras Shoping Tips in Hindi)
धनतेरस के दिन नई वस्तुये जरुर खरीदना चाहिए इस त्यौहार में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। आस्था के अनुसार भक्त सोना के आभूषण और पीतल के बर्तन खरीद सकते है कहा जाता है कि जन्म के समय धन्वंतरि जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ मन गया है।
धनतेरस में खरीदारी का शुभ मुहूर्त । Dhanteras Me Kharidari Ka Subh Muhurat
धनतेरस में बरतन एवं आभूषण खरीदने का शुभ मुहूर्त….
मुंबई में :- 1 बजकर 46 मिनट से 3 बजकर 10 मिनट
कोलकाता में :- 12 बजकर 43 मिनट से 2 बजकर 5 मिनट तक का समय श्रेष्ठ है।
दिल्ली, चेन्नई और चंडीगढ़ :- दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से 2 बजकर 45 मिनट तक का समय सबसे उत्तम है।
इस दिन निम्न चीजें अवश्य खरीदना शुभ माना जाता है: Dhanteras Shoping Ideas Tips in Hindi
- पीतल के बर्तन का बहुत महत्व है।
- चांदी के लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति
- कुबेरजी की प्रतिमा
- लक्ष्मी या श्री यंत्र
- गोमती चक्र
- सात मुखी रुद्राक्ष
- धनिये के बीज
- कौड़ी और कमल गट्टा
- झाड़ू
- गूंजा
The post धनतेरस पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र, Dhanteras (dhanvantari) Puja Vidhi Hindi appeared first on Zuban.in.