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Gupta Dham Story in Hindi: जहां भस्मासुर के डर से छुप गए थे भगवान शिव!

गुप्ता धाम का इतिहास Gupta Dham History in Hindi

Gupta Dham History, Story in Hindi: बिहार से झारखंड अलग होने के बाद जो बिहार बचा था उसमे कुछ गिने-चुने धर्म स्थानों में शुमार बाबा भोले नाथ का एक शिवलिंग बिहार के रोहतास जिला के चेनारी प्रखंड में गुप्ता धाम (Gupta Dham) यानि गुप्तेश्वर धाम की मंदिर गुफा में स्थित भगवान शिव की महिमा की बखान प्राचीनकाल से ही होती आ रही है। कैमूर पहाडियों की प्राकृतिक सौन्दर्य से शोभित वादियों में स्थित इस गुफा में जलाभिषेक करने के बाद श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। जाने भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में

‘रोहतास के इतिहास’ सहित कई पुस्तकों के लेखक श्यामसुंदर तिवारी के अनुसार गुफा के नाचघर और घुड़दौड़ मैदान के बगल में स्थित पताल गंगा के पास दीवार पर उत्कीर्ण शिलालेख, जिसे श्रद्धालु ‘ब्रह्मा के लेख’ के नाम से जानते हैं, को पढ़ने से संभव है, इस गुफा के कई रहस्य खुल जाएं. नवरात्र में सासाराम के इस माँ ताराचण्डी मंदिर में लगती है भक्तों की भीड़ 

रोहतास में अवस्थित विंध्य श्रृंखला की कैमूर पहाड़ी के जंगलों से घिरे गुप्ताधाम गुफा (Gupta Dham) की प्राचीनता के बारे में कोई प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है. इसकी बनावट को देखकर पुरातत्वविद अब तक यही तय नहीं कर पाए हैं कि यह गुफा मानव निर्मित है या प्राकृतिक.

गुप्ता धाम की कथा और कहानी Gupta Dham Kath and Story in Hindi

प्राचीन कथाओ के अनुसार एक बार भस्मासुर ने भगवान् भोलेनाथ की तपश्या कर रहा था, भोले नाथ को प्रशन करने के लिए कठिन तपस्या कर रहा था, भस्मासुर के तपस्या को देखकर भगवान् शिव प्रशन हो गए। भगवान् शिव बड़े धयालू है वो अपने भक्त की हर इच्छा को पूरा करते है, इसीलिए भोलेनाथ ने भस्मासुर से कहा की हम तुम्हरी  तपश्या से खुश है तुम हमसे कोई भी वरदान मांग सकते हो यह सुनकर भस्मासुर ने कहा की प्रभु हमें ऐसा वरदान दीजिये की जिस किसी के सिर पर हाथ रखे वो तुरंत भष्म हो जाये भोले नाथ ने कहा तथास्तु। कैमूर जिला में स्थित हरसू ब्रह्म के दर्शन करने से भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती

भस्मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने उन्हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। जहां से भाग कर भगवान शिव यहीं की गुफा के गुप्त स्थान में छुपे थे। भगवान विष्णु से शिव की यह विवशता देखी नहीं गयी और उन्होंने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का नाश किया। उसके बाद गुफा के अंदर छुपे भोलेदानी बाहर निकले।

पौराणिक आख्यानों में वर्णित भगवान शंकर और भस्मासुर से जुड़ी कथा को जीवंत रखे हुए ऐतिहासिक गुप्तेश्वरनाथ महादेव का गुफा मंदिर (Gupteshwar Mahadev Temple) आज भी रहस्यमय बना हुआ है. देवघर के बाबाधाम की तरह गुप्तेश्वरनाथ (Gupteshwar) यानी ‘गुप्ताधाम (Gupta Dham)’ श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय है. यहां बक्सर से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा है.

इसके कुछ आगे जाने के बाद शिवलिंग के दर्शन होते हैं. गुप्ताधाम गुफा (Gupta Dham Gufa) के अंदर अवस्थित प्राकृतिक शिवलिंग पर हमेशा ऊपर से पानी टपकता है. इस पानी को श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इस स्थान पर सावन महीने के अलावा सरस्वती पूजा और महाशिवरात्रि के मौके पर मेला लगता है.

गुप्ता धाम गुफा की सरचना Gupta Dham Gufa Structure

गुप्ताधाम गुफा (Gupta Dham Gufa) में गहन अंधेरा होता है, बिना कृत्रिम प्रकाश के भीतर जाना संभव नहीं है. पहाड़ी पर स्थित इस पवित्र गुफा का द्वार 18 फीट चौड़ा और 12 फीट ऊंचा मेहराबनुमा है. गुफा में लगभग 363 फीट अंदर जाने पर बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसमें सालभर पानी रहता है. श्रद्धालु इसे ‘पातालगंगा’ कहते हैं. गुफा के अंदर प्राचीन काल के दुर्लभ शैलचित्र आज भी मौजूद हैं. शाहाबाद गजेटियर में दर्ज फ्रांसिस बुकानन नामक अंग्रेज विद्वान की टिप्पणियों के अनुसार गुफा में जलने के कारण उसका आधा हिस्सा काला होने के सबूत देखने को मिलते हैं।

सासाराम के वरिष्ठ पत्रकार विनोद तिवारी कहते हैं कि शाहाबाद गजेटियर में दर्ज फ्रांसिस बुकानन नामक अंग्रेज विद्वान की टिप्पणियों के अनुसार, गुफा में जलने के कारण उसका आधा हिस्सा काला होने के सबूत आज भी देखने को मिलते हैं.

गुप्ता धाम कैसे जाते है Sasaram to Gupta Dham Distance

जिला मुख्यालय सासाराम से करीब 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस गुप्ताधाम गुफा (Gupta Dham Gufa) में पहुंचने के लिए रेहल, पनारी घाट और उगहनी घाट से तीन रास्ते हैं जो अतिविकट और दुर्गम हैं. दुर्गावती नदी को पांच बार पार कर पांच पहाड़ियों की यात्रा करने के बाद लोग यहां पहुंचते हैं.

सावन में एक महीना तक बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और नेपाल से हजारों शिवभक्त यहां आकर जलाभिषेक करते हैं. बक्सर से गंगाजल लेकर गुप्ता धाम पहुंचने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है. लोग बताते हैं कि विख्यात उपन्यासकार देवकी नंदन खत्री ने अपने चर्चित उपन्यास ‘चंद्रकांता’ में विंध्य पर्वत श्रृंखला की जिन तिलस्मी गुफाओं का जिक्र किया है, संभवत: उन्हीं गुफाओं में गुप्ताधाम की यह रहस्यमयी गुफा भी है. वहां धर्मशाला और कुछ कमरे अवश्य बने हैं, परंतु अधिकांश जर्जर हो चुके हैं.

गुप्ताधाम गुफा (Gupta Dham Gufa) के अंदर ऑक्सीजन की कमी से साल 1989 में हुई आधा दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं की मौत की घटना को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं. बैरिया गांव के प्रो़फेसर उमेश सिंह बताते हैं कि इस घटना के बाद ही प्रशासन की ओर से यहां कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर भेजा जाने लगा था.

प्रशासन की ओर से चिकित्सा शिविर भी लगता था, लेकिन वन विभाग इस क्षेत्र को अभ्यारण्य घोषित किए जाने के बाद प्रशासनिक स्तर पर दी जा रही सुविधा बंद कर दी गई है. अब समाजसेवियों के सहारे ही इतना बड़ा मेला चलता है.

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