हलधर नाग का जीवन परिचय (Haldhar Nag Biography in Hindi):-
हलधर नाग का जीवन परिचय (Haldhar Nag Biography in Hindi) हम बात कर रहे हैं कोसली भाषा के कवि हलधर नाग के बारे में, जिनके संघर्ष और सफलता की कहानी आश्चर्यजनक है। हलधर नाग (Haldhar Nag) ओड़िशा के रहने वाले कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय (Sambhalpur University) में उनके लेखन के एक संकलन ‘हलधर ग्रन्थावली-2’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा (Haldar Granthabali-2, and will use it as part of its syllabus) । हलधर नाग बेहद ही सादा लिबाज, सफेद धोती और बनियान पहने, नंगे पैर ही रहते हैं।
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हलधर नाग (Haldhar Nag) का जीवन बहुत ही संघर्षशील था बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया तब उन्हें मजबूरी में क्लास 3 के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा। हलधर नाग का जन्म 1950 (Haldhar Nag bornin 1950) में ओडिशा के बारगढ़ में एक गरीब परिवार में हुआ था। हलधर नाग (Haldhar Nag ) (66 साल) को अपनी सारी कविताएं और अबतक लिखे गए 20 महाकाव्य कंठस्थ हैं। बचपन में पिता की मौत के साथ हलधर का संघर्ष शुरू हो गया। दो साल बाद एक गांव के सरपंच उन्हें हाईस्कूल ले गए लेकिन यहां पर उन्होंने पढ़ाई नहीं की, बल्कि एक कुक के तौर पर काम किया। 16 साल तक वे यहां पर कुक के तौर पर रहे। धीरे-धीरे उस इलाके में कई स्कूल आने लगे। फिर हलधर नाग ने बैंक से 1,000 रुपए लोन लेकर स्कूली बच्चों के लिए स्टेशनरी और खाने-पीने के दूसरे सामानों वाली एक छोटी दुकान खोल ली।
“I approached a banker and got Rs 1000 loan to start a small shop selling stationery and eatables for school students,” Nag said to the Times of India.
हलधर नाग का विचार और कविता (Haldhar Nag Thought and Poem in Hindi):-
हलधर नाग (Haldhar Nag) ने टाइम्स ऑफ इंडिया से हुई बातचीत में कहा कि यह देखना काफी सुखद है कि नौजवान लोगों की भी रुचि कोसली भाषा में है. हलधर नाग (Haldhar Nag) के एक करीबी ने बताया कि, उन्हें वह सबकुछ याद रहता है, जो लिखते हैं। आप केवल नाम या विषय का उल्लेख भर कर दीजिए और वह बिना कुछ भूले सब कविताएं सुना देंगे। कविताओं में है।
हलधर नाग (Haldhar Nag) के मुताबिक हर कोई कवि है, लेकिन कुछ के ही पास कला होती है कि इसे आकार दे पाएं। हलधर नाग (Haldhar Nag) पैरों में कभी कुछ नहीं पहनते। सादगी पसंद इस कवि का ड्रेस कोड धोती और बनियान है।
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उनकी पहली कविता ‘धोडो बारगाछ (केले का पुराना पेड़)’ 1990 में एक स्थानीय पत्रिका में प्रकाशित हुई। उन्होंने पत्रिका को 4 कविताएं भेजीं और सभी प्रकाशित हुईं। घर पर तंगहाली थी इसलिए मिठाई की दुकान में बर्तन धोने पड़े। लेकिन अबतक उस शख्स पर 5 पीएचडी हो चुकी हैं
He received the Padma Shri from President Pranab Mukherjee for his outstanding contributions to Odia उड़िया भाषा में अपने योगदान के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पदमश्री से सम्मानित किया था:-
पिछले दिनों राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पदमश्री और पदमभूषण से कुछ हस्तियों को नवाजा। इन्हीं हस्तियों में से एक थे ओडिशा के कवि 66 वर्षीय हलधर नाग जिनके बारे में न तो ज्यादा टीवी पर आया और न ही आपको सोशल मीडिया पर ज्यादा कुछ पढऩे को मिला। उडिय़ा कवि पदमश्री हलधर नाग (Padma Shri Haldhar Nag) के बारे में जब आप जानेंगे तो उनसे प्रेरणा लेने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। राष्ट्रपति उन्हें पद्म श्री से सम्मानित कर चुके हैं।
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