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*पहाड़ों की रानी मसूरी *

* नैसर्गिक सौंदर्य *
पहाड़ों की रानी *मसूरी*
अगर इस बार आप गर्मियों की छुट्टियों में कहीं जाना चाहें तो*पहाड़ों की रानी मसूरी * जरूर जायें
जेठ की तपती धूप गर्मी से बेहाल ,किस का मन नही करता कि वो किसी पहाड़ी स्थान पर अपनी छुट्टियाँ मनाने जाये ।
इस बार हम भी गर्मी की छुट्टियों में मसूरी घूमने गये ।
हमारे साथ दो परिवार और थे ।कुल मिलाकर हम बहुत लोग थे हमारे साथ बच्चे भी थे ,देहरादून से हमारी गाड़ी मसूरी के लिए रवाना हुयी ,उँची-ऊँची पहाड़ियाँ ,उनके बीच-बीच में ज़िक-जेक रास्ते जैसे ही एक मोड़ से दूसरा मोड़ आता हम सब अपनी-अपनी सीटों पर ही एक जगह से दूसरी जगह गिरने लगते मानो हम झूला झूल रहे हों ।मन बहलाने के लिए हमने अनताअक्षरी खेलना शुरू किया समय बिताने के लिये करना है कुछ काम शुरू करो अंताक्षरी लेकर प्रभु का नाम ,म से माये नी माये , या से याद आ रही है गाने वगैरा-वगेरा बहुत गाने गाये हमने ,तभी एक बच्चे को घबराहट होने लगी ,फिर एकदम से उल्टी ,उसके बाद तो न लगभग सभी शुरू हो गए ,शुक्र है मुझे उल्टी नही आई मैंने पहले ही दवाई खा ली थी ।
लगभग डेढ़ घंटे में हम मसूरी पहुँचे । हम लोगों ने लाइब्रेरी बस अड्डे पर पर पहुँच वहाँ के स्थानीय होटल में कमरा लिया ।थोड़ी देर आराम और फ्रेश होने के बाद पहले कुछ खाया ,फिर हम निकल पड़े मसूरी की हसीन वादियों में घूमने ,सबसे पहले हम कम्पनी गॉर्डन गये जो वहाँ से बारह किलोमीटर आगे था हम लोग तो अपनी गाड़ी में गये वैसे वहां किराये की गाड़ियां और रिक्शा भी मिलते है । कम्पनी गार्डन बहुत ही आकर्षक है, वहाँ की फुलवारी ,झूले और नौका विहार दर्शकों का मन मोह लेता है ।
अगले दिन हम केम्पटी फाल गये ,प्राकृतिक पानी का झरना उसका मीठा शीतल जल उस जल में स्नान करने का आनंद ही अलग है ,स्थानीय दुकानों में राजा ,रानी ,पहाड़ी ड्रेसस पहन कर फोटों खिंचाने का भी अपना अलग मजा है ,जो एक याद गिरी के रूप में होती हैं ।
हमारा तीन दिन का टूर था । तीसरे दिन हम लोग *लालटिब्बा *गये ,जो मसूरी की सबसे ऊंची चोटी पर बना है । भारत का सबसे पहला दूरदर्शन केंद्र दिल्ली दूसरा फिर मसूरी में है। *लालटिब्बा *से थोड़ा नीचे एक जगह है *चार दुकान* वहॉं का प्राकृतिक सौंदर्य अनूठा है ,वहीं *क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर * का घर भी है ,लेखक* रस्किन बॉन्ड*अभिनेता टॉम आल्टर*भी मसूरी से ही है ।
वापिस लौटते हुए हम बर्लोगंज के समीप मसूरी झील पर भी रुके जहाँ हमने नौका विहार किया और भुने हुए भुट्टे खाये ।
सच मे मसूरी का सफ़र बड़ा ही सुहाना था ,प्राकृतिक शीतलता मानों एयर कौंडिशनर वाह क्या बात है ।

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