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मणिकर्णिका घाट पर स्थित बाबा महाश्मशान नाथ मंदिर में खेली गई “चीता भस्म की होली”

जानिए क्या है मसान की होली

वाराणसी दि 9-3-17 को रंगभरी एकादशी के ठीक दूसरे दिन मणिकर्णिका घाट पर स्थित बाबा महाश्मशान नाथ मंदिर में खेली गई “चीता भस्म की होली”
आज सुबह से ही महामशान मणिकर्णिका पर भक्तों व औधडियों का आना प्रारंभ हो गया था क्योंकि आज वह दिन है जिस दिन औधण दानी बाबा स्वयं चीता भस्म की होली खेलने आते हैं, मंदिर व्यवस्था के माध्यम से दोपहर की मध्याह्न आरती मंदिर व्यवस्थापक गुलशन कपूर व अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता द्वारा किए जाने के बाद बाबा को भस्म व गुलाल चढाया गया व होली प्रारंभ हुई जिसमें छेत्रीय लोगों के साथ औधडियों ने मदमस्त हो कर जम के जलती हुई चिताओं के बीच होली खेली जिसे पहली बार देखने वाले दगं थे कि यह है बनारस जहां क्या मशान क्या मंदिर क्या घाट।

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ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ जी माता पार्वती जी का गौना कराके अपने धाम आते हैं, जिसमें सभी लोग हर्षोल्लास के साथ शामिल होते हैं लेकिन बाबा के प्रिय भक्त भूत, प्रेत, पिशाच, दृश्य, अदृश्य जीवात्माए आदि उस खुशी में शामिल नहीं हो पाते हैं इसलिए बाबा विश्वनाथ रंगभरी एकादशी के ठीक दूसरे दिन अपने उन अंन्नय भक्तों को व अपने अराध्य “राम” के नाम से प्रित के वशीभूत होकर महामशान मणिकर्णिका घाट पर आकर चीता भस्म से होली खेलते हैं।
ऐसे में यह कहा गया है कि “चीता भस्मा लेपो गरल मशानमं दिगं पट धरो – जटा धारी कठें भूजंपति पशुपति कपाली भूतेषव भंजतीं जगदीशव कपिदवि” भवानी तवांग परिणि ग्रृहडीं फल मिदमं, (दुर्गा सप्तशती)

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