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ना समझो नादान हमें






ना समझो नादान हमें

ना समझो नादान हमें,
हम नए युग के बच्चे हैं। 

है कठिन मंजिल अपनी,
समस्या को तो आना है,
समस्याओं को सुलझाकर,
आगे बढ़ते जाना है। 
ना समझो नादान हमें,
हम नए युग के बच्चे हैं। 

विकास-पथ पर निकले हम,
आगे बढ़ते जाना है,
रक्षा करें पर्यावरण की,
यह भी प्रण उठाना है। 
ना समझो नादान हमें,
हम नए युग के बच्चे हैं। 

सभी धर्मों के लोग यहाँ,
मिलजुल कर यूँ रहना है    
बस प्यार हो आपस में,
नया समाज बनाना है। 
ना समझो नादान हमें,
हम नए युग के बच्चे हैं। 

निरक्षरता ना रहे यहाँ,
यह अभिशाप मिटाना है,
साक्षर हो यहाँ हम सभी,
यह जागृति जगाना है। 
ना समझो नादान हमें,
हम नए युग के बच्चे हैं। 

सूचना “औ” तकनीक की 
लहरों पर सवार है हम,
हर मुश्किल को पार करें,
हम में है अब इतना दम। 
ना समझो नादान हमें,
हम नए युग के बच्चे हैं। 
  
हम ऐसा काम करेंगे,
दुनिया करे हमें सलाम,
हर क्षेत्र विकसित  होगा,
चमकेगा भारत का नाम। 
ना समझो नादान हमें,
हम नए युग के बच्चे हैं। 

हम सब की अभिलाषा है,
मिले भारत को शोहरत,
विश्व फिर से पुकार उठे,  
सोने की चिड़िया “भारत” 
ना समझो नादान हमें,
हम नए युग के बच्चे हैं। 
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"





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