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लाल बत्ती सुरक्षा कम ठसक ज्यादा

चार दशक से ज्यादा समय से चले आ रहे लाल बत्ती के वीआईपी कल्चर से देश को निजात मिलने वाली है। 1970 से पहले वीआईपी सुरक्षा को लेकर देश में ज्यादा तामझाम नहीं दिखाई देता था। पर बाद में नेताओं और अफसरों के वाहनों में लाल, नीली और पीली बत्ती लगाने का रिवाज बढ़ा। यह धीरे धीरे वीवीआईपी होने की पहचान बन गया। तमाम वैसे नेता और अधिकारी भी ठसक में लालबत्ती लगे वाहन में घूमने लगे जो इसके लिए अधिकृत नहीं थे।

1939 में पहली बार देश में बने मोटर ह्वीकल्स एक्ट के नियम 70 के तहत राज्यों को वाहन से संबंधित कानून बनाने की इजाजत दी गई।

1980 के सेंट्रल मोटर ह्वीकल्स रूल्स के नियम 108(3) के अंतर्गत प्रावधान किया गया कि वाहनों में कौन लगा सकता है लाल और नीली बत्ती।

लाल बत्ती (फ्लैशर के साथ) 

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, पूर्व प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष, राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, राष्ट्रमंडल देशों के हाई कमिश्नर।

लाल बत्ती (बिना फ्लैशर के)

मुख्य चुनाव आयुक्त,  कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया, राज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा के डिप्टी स्पीकर, केन्द्र सरकार के राज्यमंत्री, योजना आयोग के सदस्य,  अल्पसंख्यक,  अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग के अध्यक्ष,  अटार्नी जनरल,  कैबिनेट सचिव,  तीनों सेनाओ के प्रमुख,  सेंन्ट्रल ऐडमिनिस्ट्रेटिव के अध्यक्ष,  यूपीएससी के अध्यक्ष,  हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस,  साँलिसिटर जनरल, राज्यों के उपमुख्यमंत्री,  दूसरे देशों के राजदूत।

पीली बत्ती 

कमिश्नर इनकम टैक्स, रिवेन्यू कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक।

नीली बत्ती 

एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ियां

सिर्फ सरकारी दौरे में इस्तेमाल 

लाल बत्ती का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी दौरा के दौरान ही किया जा सकता है। वाहन में अधिकारी के परिवार के सदस्य हों फिर दौरा गैर सरकारी हो तो लालबत्ती का इस्तेमाल वर्जित है। तब लालबत्ती को काले कवर से ढकना जरूरी है।

सायरन

दिल्ली मोटर वीकल्स के रुल्स 1993 के अनुसार सिर्फ इमरजेंसी वाहन जैसे फायर ब्रिगेड़, एंबुलेंस, पुलिस कंट्रोल रुम की वैन में चमकने वाली या घूमने वाली लाल बत्ती के साथ सायरन लगा सकते है। वीआईपी की पायलट गाडी पर भी सायरन लगाया जा सकता है।

चमकने वाली नीली वीआईपी लाइट

चमकने वाली नीली वीआईपी लाइट को पुलिस पैट्रोलिंग वाहन, पायलट वाहन लगा सकते है

2013 में में 11 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वाहनों पर लालबत्ती की इजाजत केवल संवैधानिक पद पर आसीन लोगों और उच्च पदस्थ हस्तियों को ही दी जानी चाहिए।


यहां पहले ही लग चुकी है रोक

2014 में दिल्ली सरकार ने मंत्रियों की गाड़ियों से लाल बत्ती हटवाई। सिर्फ उप राज्यपाल, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जज ही फ्लैशर के साथ लाल बत्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं।

2017 मे 18 मार्च को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लालबत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया। इसके तहत मुख्यमंत्री, विधायक और शीर्ष अधिकारी अपनी सरकारी गाड़ियों में लालबत्ती का इस्तेमाल नहीं करेंगे। लालबत्ती सिर्फ पंजाब के गवर्नर, चीफ जस्टिस और हाईकोर्ट के जज कर सकेंगे।
(19 अप्रैल 2017 )


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