भगवान शिव का यह पवित्र भड़केश्वर महादेव मंदिर – Bhadkeshwar Mahadev Mandir गुजरात में है। हम सभी को पता ही है की गुजरात जैसे समृद्ध राज्य में मंदिरों की कोई कमी नहीं। गुजरात के हर शहर में कोई ना कोई बड़ा मंदिर दिखता ही है। वैसे ही गुजरात के द्वारका शहर में भी भगवान शिव का प्रसिद्ध भड़केश्वर मंदिर स्थित है।
भड़केश्वर महादेव मंदिर – Bhadkeshwar Mahadev Mandir
इस मंदिर की सबसे दिलचस्प बात यह है की यह मंदिर समुद्र में है। इसके चारो तरफ़ समुद्र ना नीला नीला पानी ही दीखता है। समुद्र में एक छोटीसी पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर को देखने के बाद हम यहाँ का दृश्य जीवन में कभी भूल ही नहीं सकते। इस तरह के मंदिर बड़ी मेहनत से बनाये जाते है। कई मंदिरों को बनाने के लिए तो कई साल या दशक भी कम पड़ जाते है।
इस मंदिर के देवता को सभी चन्द्रमौलिश्वर नाम से जानते है। इस मंदिर के देवता की मूर्ति आचार्य जगतगुरु शकाराचार्य को गोमती, गंगा और अरबी समुद्र के पवित्र संगम पर मिली थी। यहापर इस मूर्ति के अलावा भी 1300 शिव लिंग, 1200 सालग्रामशिला, और 75 शंकराचार्य की भी मुर्तिया भी है।
जब समुद्र में बढ़ाव आता है तो सारा पानी मंदिर के चारो तरफ़ फ़ैल जाता है और वहाकी सारी सीढिया पानी से भीग जाती है और जब घटाव होता है तब पानी की लहरे कम हो जाती है और कोई भी आसानी से मंदिर में जा सकता है।
समुन्दर के किनारे के इस दृश्य को देखकर कोई भी आनंदित हो जाता है और यही क्षण उसके लिए यादगार पल बन जाता है। शिवरात्रि के दिन यहापर बहुत बड़ी यात्रा होती और उस यात्रा के दौरान हजारों भक्त शिवशंकर के दर्शन करने के लिए आते है।
भड़केश्वर महादेव मंदिर तक कैसे पहुचें – How to reach Bhadreshwar Mahadev Temple
बस: गुजरात के सभी राज्य मार्ग और राष्ट्रीय महामार्ग से इस मंदिर तक पंहुचा जा सकता है। गुजरात के सभी शहरों से तथा अन्य राज्य से भी द्वारका शहर पंहुचा जा सकता है।
रेलगाड़ी: भड़केश्वर महादेव मंदिर से सबसे नजदीक में द्वारका रेलवे स्टेशन है।
हवाईजहाज: मंदिर से सबसे नजदीक में पोरबंदर का हवाईअड्डा है। यह हवाई अड्डा मंदिर से केवल 98 किमी की दुरी पर है।
द्वारका के इस पवित्र मंदिर की जानकारी मिलने के बाद हमें एक बात समझ में आती है की इस भड़केश्वर महादेव मंदिर की भगवान शिव की मूर्ति आचार्य शंकराचार्य को मिली थी। जिस जगह पर यह मूर्ति मिली थी वो जगह भी सबसे अद्भुत है क्यों की जिस जगह पर शंकराचार्य को यह पवित्र मूर्ति मिली थी उस जगह पर दो नदिया (गोमती, गंगा) और अरबी समुद्र का मिलन होता है। इसी वजह से भगवान शिव की इस मूर्ति को अद्भुत मूर्ति समझा जाता है।
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